कनाडा के बाद ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में भी हुए किसानों के समर्थन में प्रदर्शन
– प्रदर्शन के बहाने खालिस्तानी और पाकिस्तानी समर्थक चला रहे हैं भारत विरोधी एजेंडा
नई दिल्ली, देशज न्यूज। भारत में नए कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में विदेशों में भी प्रदर्शन एवं संयुक्त रैलियां की जा रही हैं लेकिन अब इन आंदोलनों को खालिस्तानी संगठनों ने हाईजैक कर लिया है। कनाडा के बाद अब ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में किसानों के समर्थन में प्रदर्शन के नाम पर अधिकतर खालिस्तानी और पाकिस्तानी समर्थक शामिल हो रहे हैं।
लन्दन में भारतीय उच्चायोग पर खालिस्तान के झंडे के साथ आज सिख फॉर जस्टिस ग्रुप का परमजीत सिंह ‘पम्मा’ शामिल हुआ। पिछले साल भारत ने इस समूह का बहिष्कार किया था। खालिस्तानी आतंकवादी परमजीत सिंह पम्मा ने लंदन में खालिस्तानी आतंकी वित्त पोषित रैली में भारत विरोधी नारे लगाए। पम्मा एनआईए की मोस्ट वांटेड लिस्ट में है और इसमें प्रतिबंधित/नामित आतंकी समूह सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) भी शामिल है, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा वित्त (Demonstration in support of farmers) पोषित किया जाता है।
इसके अलावा बब्बर खालसा का चेहरा माना जाने वाला फेडरेशन ऑफ सिख संगठन से जुड़ा कुलदीप सिंह चेरू भी लन्दन में भारतीय उच्चायोग के सामने हुए विरोध प्रदर्शन में शामिल हुआ। लंदन (Demonstration in support of farmers) मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित किया। इस दौरान लंदन में भारतीय उच्चायोग के सामने विरोध प्रदर्शन के दौरान कोविड-19 के नियमों का उल्लंघन करने के आरोप में 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें से चार लोगों को रिहा कर दिया गया लेकिन नौ लोग अभी भी हिरासत में हैं।
खबरों के मुताबिक ब्रिटेन की राजधानी लंदन में भारतीय उच्चायोग के पास काफी लोग इकट्ठा हो गए और प्रदर्शन किया।भारतीय उच्चायोग, लंदन के प्रेस अधिकारी विश्वेश नेगी ने एक बयान में कहा कि प्रदर्शनकारियों ने महामारी के दौरान बड़ी संख्या में एकत्रित होकर सामाजिक दूरी के मानदंडों की धज्जियां उड़ा दीं। लगभग 40 वाहनों के साथ प्रदर्शन करने के लिए मेट्रोपॉलिटन पुलिस लंदन से अनुमति मांगी गई थी जबकि यहां भारतीय उच्चायोग, विदेश कार्यालय और गृह कार्यालय तक 3500-4000 प्रदर्शनकारी पहुंचे। इस पर सुरक्षा के मद्देजर लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस भीड़ को तितर-बितर कर स्थिति नियंत्रित कर लिया। साथ ही भारतीय दूतावास की सुरक्षा के लिए कड़े प्रबंध किए हैं।
नेगी ने कहा कि भारतीय किसानों के समर्थन में प्रदर्शन के बहाने भारत विरोधी अलगाववादियों की अगुवाई में भारत विरोधी एजेंडे को हवा देने का काम किया जा रहा है। भारत में कृषि सुधार बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया का हिस्सा है। भारत सरकार प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत कर रही है जो अभी भी जारी है।
कहने की जरूरत नहीं है, यह भारत का एक आंतरिक मुद्दा है। लंदन पुलिस पूरी (Demonstration in support of farmers) ताकत से भारतीय उच्चायोग को संरक्षण दे रही है जबकि प्रदर्शनकारी भारत विरोधी नारे और कुछ किसान समर्थक नारे लगा रहे हैं।
इसी तरह अमेरिका में कैलिफ़ोर्निया और सैन फ्रान्सिस्को में भारतीय वाणिज्य दूतावास से ऑकलैंड तक ‘किसान एकजुटता रैली’ निकाली गई जिसमें सैकड़ों वाहन शामिल थे। रैली में शामिल प्रदर्शनकारियों के वीडियो में लोग किसानों के आंदोलन के समर्थन में नारेबाजी और तख्तियां लहराते हुए दिखे। रिपोर्ट के मुताबिक, ‘किसान एकजुटता रैली’ का आयोजन एक संगठन ने किया था जिसे ‘जकारा आंदोलन’ का नाम दिया गया था।
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में रविवार को भारतीय वाणिज्य दूतावास से संसद भवन तक ‘किशन रैली’ निकाली गई। कनाडा के टोरंटो में स्थित भारतीय दूतावास के बाहर सैकड़ों लोग एकत्र होकर प्रदर्शन किया। (Demonstration in support of farmers) इसमें भी पाकिस्तानी और खालिस्तानी समर्थक भी शामिल थे।
भारत सरकार के नए कृषि कानूनों के विरोध में किसान आंदोलन कर रहे हैं। सरकार और किसान के बीच 5 दौर की वार्ता बेनतीजा रहने पर अगली बैठक 09 दिसम्बर को होनी है। उधर, अगली बैठक से एक दिन पहले 8 दिसम्बर को किसान संगठनों ने भारत बंद का ऐलान भी किया है।