अप्रैल,20,2024
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जयपुर के चिकित्सकों ने रचा इतिहास, देश में पहली बार बिना ऑपरेशन ही बदल दिए दो वॉल्व

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  • मुख्य बातें
  • हॉट सीआरटी तकनीक से पेसमेकर के तार को दिल से जोड़कर बचाई मरीज की जान
  • देश में पहली बार बिना सर्जरी के दो वॉल्व एक साथ बदलने में मिली सफलता
जयपुर, देशज न्यूज। देश में पहली बार जयपुर के चिकित्सकों ने हॉट सीआरटी तकनीक से पेसमेकर के तार को दिल के तार से जोड़कर एक हार्ट फेलियर मरीज की जान बचाई। वहीं एक ऐसे ही एक अन्य दुर्लभ केस में बिना सर्जरी के कैथेटर के जरिये दो वॉल्व एक साथ बदलने में सफलता प्राप्त की है। अमेरिका के जाने माने कार्डियोलॉजिस्ट और इटरनल हॉस्पिटल के चेयरमैन डॉ. समीन के शर्मा ने शुक्रवार को पत्रकारों को बताया कि भारत में ये दोनों केस पहली बार हुए हैं। विदेशों में भी ऐसे केस दुर्लभ हैं।
सीनियर इंटरवेन्शनल कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. जितेंद्र सिंह मक्कड़ ने बताया, भरतपुर की 67 वर्षीय शकुंतला देवी को लंबे समय से हार्ट प्रॉब्लम थी और बढ़ते-बढ़ते हार्ट फेलियर की स्थिति इतनी बढ़ गई हृदय की कार्य क्षमता 15 से 20 फीसदी ही रह गई। पेसमेकर के तीनों तारों से भी काम नहीं बना तो ऐसे में उनकी जान बचाने के लिए हॉट सीआरटी तकनीक अपनाकर चौथे तार को हृदय से विद्युत प्रवाह करने वाली मुख्य तार (हिज बंडल) से जोड़ा गया।

ऐसा भारत में पहली बार हुआ है। इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. कुशकुमार भगत ने बताया कि मरीज को पेसमेकर की तीसरी तार जिस नस में लगानी थी, वह काफी कमजोर थी और वहां तार लगाने से पेसमेकर का लाभ नहीं मिल पाता, इसलिए हॉट-सीआरटी (हिज बंडल) तकनीक से चौथा तार दिल से जोड़ा गया। इस शल्यप्रक्रिया में एक से दो घंटे का समय लगा। मरीज पूर्णरूप से स्वस्थ है।

बिना ऑपरेशन ही बदल दिए दो वॉल्व
ट्रांसकैथेटर वाल्व रिप्लेसमेंट तकनीक (टावर) से बिना किसी ऑपरेशन के एक साथ दो हार्ट वॉल्व बदलने का मामला भी देश में अनूठा है। डॉ. रविंद्रसिंह राव ने बताया कि दिल की मरीज नागपुर की 78 वर्षीय सरिता को सांस लेने व सीने में दर्द की शिकायत थी। उनके दो वॉल्व काम नहीं कर रहे थे। वर्ष 2012 में उनकी ओपन हार्ट सर्जरी में वॉल्व बदला गया था, लेकिन अब दो खराब हो चुके थे। मरीज की अधिक उम्र व पहले किए गए ऑपरेशन से दोबारा ओपन सर्जरी करना खतरनाक साबित हो सकता था, इसीलिए ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वॉल्व रिप्लेसमेंट तकनीक का इस्तेमाल कर उनका इलाज किया गया। देश में यह पहला केस है, जिसमें बगैर सर्जरी के एक साथ एऑर्टिक और माइट्रल दोनों वॉल्व कैथेटर के जरिए बदले गए हैं। डेढ़ घंटे की इस प्रक्रिया के बाद मरीज आईसीयू में एक दिन रही, रिकवर फास्ट हुआ, मरीज अब एक बार में बगैर किसी परेशानी के 30 से 45 मिनट पैदल भी चल सकती है।जयपुर के चिकित्सकों ने रचा इतिहास, देश में पहली बार बिना ऑपरेशन ही बदल दिए दो वॉल्व

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