भारतीय क्रिकेट का वो खिलाड़ी जिसे पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी भी ‘सर’ कहते हैं। यहां तक की भारत के प्रधानमंत्री भी उन्हें ‘सर जडेजा’ कहकर संबोधित कर चुके हैं। जी हां, हम बात कर रहें है, भारतीय क्रिकेट को नई ऊंचाइयों तक ले जाने वाले ऑल राउंडर क्रिकेटर रविंद्र जडेजा की।
नई दिल्ली, देशज न्यूज। रवीद्र जडे़जा एक बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं। शुरुआती दिनों में उन्हें गरीबी का सामना करना पड़ा। उनके पिता एक निजी कंपनी में चौकीदार हुआ करते थे। इसके बाद भी, जडेजा ने अपनी कड़ी मेहनत से भारतीय टीम में जगह बनाई। रवींद्र जडेजा ने 2002 में पहली बार सौराष्ट्र की अंडर-14 टीम में महाराष्ट्र के खिलाफ मैच खेला। पहले ही मैच में उन्होंने 87 रन बनाए और 4 विकेट भी लिए। 15 साल की उम्र में ही वो सौराष्ट्र की अंडर-19 टीम में आ गए थे। इसी फॉर्मेट में उन्होंने अपने करियर की पहली सेन्चुरी भी लगाई थी।
रवींद्र जडेजा के पिता अनिरुद्ध एक निजी कंपनी में चौकीदार थे। वो अपने बेटे को आर्मी अफसर बनाना चाहते थे लेकिन रविन्द्र जडेजा का रुझान शुरू से ही क्रिकेट की ओर था।जडेजा की मां चाहती थीं कि बेटा क्रिकेटर बने। आर्थिक परेशानी होने के बावजूद मां का सपना पूरा करने के लिए जडेजा ने कड़ी मेहनत कर इंडियन टीम में जगह बनाई, लेकिन 2005 में एक एक्सीडेंट में उनकी मां का निधन हो गया। इससे जडेजा इतने टूट गए थे कि उन्होनें क्रिकेट छोड़ने तक का मन बना लिया था।
दिसंबर, 2005 में उन्होंने वर्ल्ड कप अंडर-19 टीम में जगह बना ली। यहां जडेजा ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चार और पाकिस्तान के खिलाफ तीन विकेट लेकर जबरदस्त परफॉर्मेंस दी।2008 में भी जडेजा अंडर-19 वर्ल्ड कप टीम के मेंबर थे। ये टीम वर्ल्ड कप चैम्पियन रही थी। टूर्नामेंट में जडेजा ने 10 विकेट लिए थे। फरवरी, 2009 में उन्हें टीम इंडिया के लिए वनडे और फिर टी-20 खेलने का मौका मिला। जडेजा ने 2012 में टेस्ट डेब्यू किया। 2012 में जडेजा ने फर्स्ट क्लास क्रिकेट में तीन ट्रिपल सेंचुरी लगाई। ऐसा करने वाले वें दुनिया के आठवें और पहले भारतीय क्रिकेटर बने। इसके बाद ही उन्हें ‘सर जडेजा’ कहा जाने लगा।