अप्रैल,27,2024
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Jaipur: किशनगढ़ में बैठे पंडित जी, 400 किमी दूर आबूरोड़ में विवाह, वीडियो कॉल पर करवा दिए फेरे

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जयपुर,देशज टाइम्स डिजिटल डेस्क। कोरोनाकाल में महामारी के खौफ तथा शादी-समारोह की रस्मों के लिए सरकारी पाबंदियों के बीच रविवार को अजमेर जिले के किशनगढ़ निवासी एक पंडित जी ने 400 किलोमीटर दूर राजस्थान- गुजरात बॉर्डर पर वीडियो कॉल से फेरे करवा दिए।
 
अजमेर जिले के किशनगढ़ निवासी पंडित सत्येंद्र शर्मा ने यह ऑनलाइन शादी करवाई। शर्मा ने मावल-गुजरात बॉर्डर पर आबूरोड क्षेत्र में दूल्हे मोहित संग दुल्हन निशा का विवाह कराया। पंडित ने मोबाइल पर वीडियो कॉल के जरिए दूल्हा-दुल्हन को फेरों की रस्मों के बारे में बताया।
इस दौरान फेरों के पास दूसरे एक व्यक्ति को बिठाया गया, जो फेरे की वेदी में घी व अन्य सामग्री अर्पित करता रहा। पंडित शर्मा के कहने पर दूल्हा-दुल्हन ने मंत्रोच्चार किए। एक-दूसरे से विवाह में ली जाने वाली कसमें लीं। इसके बाद सात फेरे पूरे किए।
 
पंडित शर्मा ने सात फेरे पूरे होने के बाद अंत में दोनों को कोरोना महामारी से बचाव के लिए दूसरों को जागरूक करने की पालना करने की शपथ भी दिलाई। पंडित शर्मा का कहना है कि शादी के पवित्र बंधन के साथ ही इस महामारी से बचाव के लिए भी शपथ जरूरी है। जो हर विवाह में दिलवाई जा रही है। वे अधिकांश विवाह ऑनलाइन ही करा रहे हैं।
 
असल में, आबूरोड में यह विवाह कराने के लिए जिन पंडित को बुक किया गया था, अंतिम क्षणों में किसी कारणवश वे शादी में उपस्थित नहीं हो पाए। ऐसे में परिजनों ने पंडित सत्येंद्र शर्मा से संपर्क किया।
शर्मा ने साक्षी के रूप में अपने पिता पुरुषोत्तम शर्मा को समारोह में मौके पर भेज दिया। ऑनलाइन विवाह को लेकर दुल्हन की माता राखी कश्यप ने सबसे पहले सहमति जताई। पंडित शर्मा कई बार ऑनलाइन हवन-यज्ञ कराते रहे हैं। इसकी जानकारी दूल्हा-दुल्हन के परिजनों को दी गई। इस पर सभी सहमत हो गए और ऑनलाइन विवाह संपन्न कराया।
 
मोहित-निशा कश्यप की शादी में पंडित शर्मा के मित्र भी सम्मिलित हुए थे। उन्होंने ही कॉल करके पंडित शर्मा को ऑनलाइन शादी कराने के लिए कहा। इस पर पंडित शर्मा ने कहा कि मैं कहीं व्यस्त हूं, लेकिन मित्र ने किसी भी तरह समाधान करने के लिए कहा।
इस पर पंडित ने ऑनलाइन फेरे कराने की बात कही। उन्हें निर्धारित समय पर वीडियो कॉल करके स्पीकर से कनेक्ट किया गया। इस दौरान जब उन्होंने फेरे कराएं तो मंत्र दूल्हा-दुल्हन समेत सभी को सुनाई दिए। इसके बाद फेरे संपन्न कराए गए।

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