नई दिल्ली। आरबीआई द्वारा अब किसी बैंक पर मोरेटोरियम लगाए जाने के 90 दिन के भीतर उस बैंक के जमाकर्ताओं को पांच लाख रुपये तक की जमा राशि वापस (bank-depositors-will-get-rs-5-lakh-deposit-insurance-amount) मिल जाएगी। केंद्रीय कैबिनेट ने इसके लिए DICGC Act में संशोधन के प्रस्ताव को बुधवार को मंजूरी दे दी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने बजट में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) एक्ट, 1961 में संशोधन का एलान किया था। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैबिनेट की मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि इससे संबंधित विधेयको को संसद के मॉनसून सत्र में लाए जाने की संभावना है।
बैठक के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतामरण (Nirmala Sitharaman) ने फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि अब किसी बैंक के दिवालिया होने या उसका लाइसेंस रद्द होने या उस पर RBI द्वारा कोई प्रतिबंध लगने पर 90 दिनों के अंदर डिपॉजिटर को उसकी 5 लाख रुपये तक की जमा मिलने की प्रॉसेस पूरी हो जाएगी।
वित्त मंत्री (Nirmala Sitharaman) ने बताया कि संकटग्रस्त बैंक के मामले में पहले 45 दिनों अंदर उन सभी खातों की जानकारी जुटाई जाएगी, जिनके लिए दावे किए गए हैं और इसे DICGC को सौंपा जाएगा। DICGC इन खातों को चेक करेगा और फिर अगले 45 दिनों अंदर डिपॉजिटर्स को 5 लाख रुपये तक की रकम सौंपे जाने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी।
बैंक में डिपॉजिटर की 5 लाख रुपये तक की जमा पर सुरक्षा की गारंटी, डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन की ओर से होती है। इस 5 लाख रुपये की लिमिट में एक डिपॉजिटर की एक बैंक की सभी शाखाओं में मौजूद सभी जमा काउंट होती है। हर डिपॉजिटर की हर बैंक में 5 लाख रुपये तक की सुरक्षित जमा में मूलधन और ब्याज दोनों शामिल होता है। DICGC सभी बैंक डिपॉजिट्स को कवर करता है। इसमें कमर्शियल बैंक, विदेशी बैंकों की भारत में मौजूद शाखाएं, स्मॉल फाइनेंस बैंक, को-ऑपरेटिव बैंक, पेमेंट्स बैंक आदि सभी बैंक कवर होते हैं।
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देने के लिए आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा, ”आरबीआई अगर किसी बैंक पर मोरेटोरियम लगाती है तो लोगों को पैसे वापस पाने में किसी तरह की दिक्कत ना हो, इसके लिए डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन का गठन किया गया था। आज कैबिनेट की बैठक में यह फैसला किया गया कि 90 दिन के भीतर जमाकर्ताओं को पांच लाख रुपये तक की रकम वापस मिल जाएगी।”