आरा। बिहार के विश्वविद्यालयों में कुलपति और प्रतिकुलपतियो की नियुक्ति के मामले में चल रहे गोरखधंधे पर कई जनहित याचिकाओं पर आये फैसलों से हाल के वर्षों में जहां रोक लगी थी वहीं एक बार फिर ऐसी नियुक्तियों में अनियमितता की बातें सामने आई है।
वीर कुंवर सिंह विवि आरा में प्रतिकुलपति के पद पर नियुक्ति कराने वाले प्रो.नन्द किशोर साह की प्रोफेसर के पद पर दस साल के शैक्षणिक अनुभव की योग्यता पूरी किये बिना सर्च कमेटी को गलत तथ्य देकर नियुक्ति करा लेने का मामला इन दिनों विवि की गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। ऐसी नियुक्ति की जांच हुई तो प्रतिकुलपति को अपने पद से तो हाथ धोना ही पड़ सकता है, साथ ही अबतक इस पद पर रहकर वेतन और अन्य सुविधाओं के लिए ली गई राशि को लौटाना भी पड़ सकता है।प्रो.साह के विरुद्ध गलत कागजात उपलब्ध कराकर प्रतिकुलपति के पद पर नियुक्ति को लेकर जनाक्रोश भी भड़कने लगा है जो कभी भी जनांदोलन का रूप ले सकता है और राज्य सरकार और राजभवन की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
बिहार के विश्वविद्यालयों में तत्कालीन कुलाधिपति देवानन्द कुंवर के कार्यकाल में तथ्यों को छुपाकर गलत तरीके से कुलपति और प्रतिकुलपति बनने को लेकर लगातार जनहित याचिकाओं पर फैसला सुनाते हुए उच्च न्यायालय से लेकर उच्चतम न्यायालय ने ऐसी कई नियुक्तियों को रद्द करते हुए हाल के वर्षों में कई कुलपति और प्रतिकुलपति को बर्खास्त किया था। बड़े पैमाने पर कुलपति और प्रतिकुलपति के पद पर ताबड़तोड़ हो रही अयोग्य नियुक्तियों पर सुनवाई के बाद अपने फैसले के दौरान देश सर्वोच्च अदालत ने कुलपति और प्रतिकुलपतियों की नियुक्ति के लिए एक नया रोडमैप तैयार किया था और कुलपति और प्रतिकुलपति की नियुक्तियों के लिए सर्च कमेटी बनाकर योग्य और नियुक्ति के लिए तय मापदंडों को पूरा करने वाले प्रोफेसरों को ही कुलपति और प्रतिकुलपति नियुक्त करने के आदेश दिये थे।
वीर कुंवर सिंह विवि आरा के प्रतिकुलपति की प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नति वर्ष 2013 में हुई है और टीएनबी विवि भागलपुर में इनके प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नति सम्बन्धी अधिसूचना टीएनबी विवि के पत्रांक 12/2013 के द्वारा की गई है। अब सवाल यह है कि जब प्रो.नन्द किशोर साह वर्ष 2023 के पूर्व तक प्रोफेसर के रूप में दस साल के अध्यापन अनुभव के योग्य ही नही हो सकते तो उन्होंने कैसे वर्ष 2018 के आसपास प्रतिकुलपति के पद पर नियुक्ति करा ली।प्रतिकुलपति के पद पर नियुक्ति कराकर ढाई साल से अधिक समय से वीर कुंवर सिंह विवि आरा में प्रशासनिक कार्यो का असंवैधानिक संचालन कर रहे हैं और राज्य सरकार की राशि को गलत तरीके से अर्जित करने में जुटे हुए हैं।
अदालत के पूर्व के दिये गए फैसलों में स्पष्ट आदेश है कि प्रोफेसर के पद पर प्रोन्नति के लिए हुए नोटिफिकेशन की तिथि ही प्रोन्नति की तिथि मानी जायेगी और कुलपति या प्रतिकुलपति के पद पर नियुक्ति के लिए इसी नोटिफिकेसन के दिन से प्रोफेसर के पद पर दस वर्षों का अनुभव की योग्यता होनी जरूरी है। वीर कुंवर सिंह विवि आरा में प्रतिकुलपति प्रो.साह की नियुक्ति की राजभवन ने अगर जांच करा ली तो उनकी नियुक्ति में धोखाधड़ी,जालसाजी,तथ्यों को छुपाने, आवेदन के साथ गलत कागजात प्रस्तुत किये जाने और सर्च कमिटी को गुमराह किये जाने के कई मामलों का खुलासा हो सकता है।
सूत्र बताते हैं कि इनकी प्रतिकुलपति के पद से बर्खास्तगी के साथ साथ प्रतिकुलपति के पद पर रहकर लिये गए वेतन और अन्य सुविधाओं के मद में लिये गए सरकार के पैसे को लौटाने भी पड़ सकते हैं। बता दें कि विवि से जुड़े कई लोग प्रतिकुलपति के पद पर असंवैधानिक नियुक्ति कराकर विवि की गरिमा के साथ खिलवाड़ कर रहे प्रतिकुलपति प्रो.साह के विरुद्ध राजभवन और कोर्ट जाने की तैयारी में जुट गये हैं। अगर ऐसा हुआ तो प्रो.साह के फर्जीवाड़े की पोल खुलनी तय मानी जा रही है और उनकी मुश्किलें बढ़ सकती है।