मधुबनी। मुख्यमंत्री नीतीष कुमार ने स्वास्थ्य विभाग से मधुबनी जिले में कोरोना की तैयारियों का विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से लिया। जिसमें बताया गया कि जिला अंतर्गत अब तक 8016 कोरोना से संक्रमित है। जिसमें वर्तमान में 439 मरीज कोरोना से संक्रमित हैं। एक अप्रैल से ग्रामीण क्षेत्र में कुल-164 एवं शहरी क्षेत्र 19 प्रभावित हुए हैं। एक अप्रैल 2021 से 12,677 आरटी पीसीआर जांच की गई है। राज्य से निर्धारित जिला का लक्ष्य 800 का है। जिसे प्रतिदिन पूरा कर लिया जाता है।
इसमें 400 सैंपल पटना मेडिकल कॉलेज एवं 400 सैंपल मधुबनी मेडिकल कॉलेज जाता है। औसतन पीएमसीएच से 3 दिनों में एवं मधुबनी मेडिकल कॉलेज से दूसरे दिन रिपोर्ट प्राप्त हो जाता है। जिले में पिछले 215 क्वॉरेंटीन सेंटर बनाया गया था,जिसमें 170 कार्यरत है। निर्देश मिलने पर 24 घंटे के अंदर फिर से क्रियाशील किया जा सकता है। मधुबनी जिले में कोविड मरीज के इलाज के लिए 8 आइसोलेशन कम ट्रीटमेंट सेंटर बनाया गया है।
इसमें से सात कोविड केयर सेंटर है। जहां माइल्ड कोविड केसेस एवं एक डीसीएचसी हैं। जहां मॉडरेट केसेस की चिकित्सा की जाती है। वर्तमान में 57 मरीज को कोविड केयर सेन्टर एवं 12 मरीज डीसीएचसी में भर्ती हैं। जिले में 8 डेडीकेटेड कोविड एम्बुलेंस है,जो 24 घंटे कार्यरत हैं। इससे जिले भर के मरीजों को आवश्यकतानुसार सीसीसी एवं डीसीएचसी में लाया जाता है या वहां से हायर सेंटर रेफर किया जाता है। मॉडरेट मरीजों के लिए दबाव के अतिरिक्त ऑक्सीजन की जिले में कमी नहीं है। जिले में 20 लीटर क्रियाशील है। तथा ऑक्सीजन पाइप लाइन भी लगा गया है।
सभी केन्द्रों पर ऑक्सीजन कनेकत्रेतर अभी उपलब्ध है। रूटीन टेस्ट कराए जाते हैं। ग्लूकोमीटर,नेबुलाइजर एवं तीन चैनल ईसीजी मशीन उपलब्ध है। तथा पल्स ऑक्सीमीटर,मल्टीपारा मॉनिटर एवं इंफ्रारेड थर्मोमीटर पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। सभी केन्द्रों पर कोविड-19 जांच की सुविधा भी उपलब्ध है। पोर्टेबल एक्सरे मशीन,सेमी ऑटो एनालाइजर एवं सीबीसी मशीन की आपूर्ति के लिए बीएमएसआईसीएल पटना से अनुरोध किया गया। उम्मीद कार्यक्रम के तहत सभी मरीजों को साइक्लोजिकल काउंसलिंग सप्ताह में दो दिन कराया जाता है। इंफेक्शन प्रिवेंशन प्रोटोकॉल एवं बायो मेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट प्रोटोकॉल का सख्ती से पालन कराया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा निर्धारित ट्रीटमेंट प्रोटोकोल का सख्ती से पालन होता है।
तथा स्थिति में गिरावट आने पर मरीज को डेडीकेटेड कोविड-19 रेफर कर दिया जाता है। सीसीसी, डीसीएससी को सुदृढ़ करने के लिए योग्य चिकित्सकों की आवश्यकता है। एलटी के कमी की वजह से सैंपलीग कार्य प्रभावित होता है। एक या दो लैब टेक्नीशियन फिक्स्ड साइट पर ही रह जाते हैं। इस वजह से कंटेंटमेंट जोन में सेंपलिंग प्रभावित होता है। क्योंकि वैक्सीनेशन एवं सैंपलिंग का कार्य एक साथ चल रहा है। दोनों में डाटा एंट्री ऑपरेटर की सहभागिता है। इसलिए डाटा एंट्री कार्ड प्रभावित होता है।