मधुबनी। सदर अस्पताल मधुबनी के प्रसव कक्ष की स्टाफ नर्स अर्चना कुमारी की कोरोना से मौत के बाद स्टाफ नर्सो व परिजनों ने जमकर बवाल काटा। परिजन व अस्पताल के नर्स ने आरोप लगाया कि स्टाफ नर्स अर्चना कुमारी की मौत ऑक्सीजन के अभाव में हो गई है।
बताया गया कि वह गर्भवती भी थी। तथा एक साथ दो-दो लोगों की जाने चली गई। सदर अस्पताल में सुबह 7 बजे से ही अस्पताल की नर्स व परिजनों ने बवाल काटा। इन लोगों का कहना था कि कोरोना वायरस संक्रमण काल में सभी स्टाफ का एक महीने का वेतन एक्स्ट्रा दिया गया था। परंतू अस्पताल के कुछ कर्मी ने इसका बेनिफिट ले लिया। तथा बाकी इन लोगों को उसी तरह छोड़ दिया गया। इस दौरान अन्य कई मांगों को लेकर वे लोग जमकर नारेबाजी की। सूचना के बाद सिविल सर्जन डॉ सुनील कुमार झा एवं सदर एसडीएम अभिषेक रंजन अस्पताल पहुंचे। तथा प्रदर्शनकारियों से बातचीत की।
उन्हें ढ़ाढ़स बंधाया और कहा कि उनकी जो भी जायज मांगे हैं सभी पूरा की जाएगी। एसडीएम अभिषेक रंजन ने अभिलंब जिन कर्मियों का एक माह का अतिरिक्त वेतन नहीं मिला है उनकी सूची तलब की है। साथ ही भरोसा दिलाया कि वे शीघ्र इस अतिरिक्त वेतन का लाभ इन कर्मियों को दिलाएंगे। बताते चलें कि नालंदा जिला निवासी गर्भवती महिल नर्स अर्चना कुमारी सदर अस्पात मधुबनी में कई बर्षे से कार्यरत है। कोरेाना पाॅजिटिव होने के बाद वह अस्पताल में थी। जहां उनका ईलाज चल रहा था।
हालत ज्यादा खराब होने लगी तो अस्पतल प्रशासन ने उन्हे बेहतर इलाज के लिए डीएमसीएच रेफर कर दिया। परंतू डीएमसीएच एवं पारस अस्पताल दरभंगा ने बेड खाली नही रहने का कारण बताकर लेने से इंकार कर दिया। जिसके बाद अन्य अस्पताल में भर्ती के लिए एम्बुलेंस इधर से उधर डोड़ती रही। परंतू किसी अस्पाताल ने उन्हे ईलाज के लिए भर्ती नही किया। तथा वे कोरोना संक्रमित गर्भवती नर्स ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया।
सवाल सरकारी सिस्टम से है कि जिस नर्स ने कितनों की जान बचायी होगी। स्वास्थ्य विभाग का सिस्टम ने उन्हे बेहतर ईलाज तो दूर की बीत यहां तक की अस्पताल में बेड तक नही दिया। मृतिका के परिजन नालंदा निवासी मधुबनी पहुंचकर अपनी बच्ची को ले गए।