मधुबनी। मिथिलांचल में नवविवाहिता का महापर्व पंचमी बुधवार से आरंभ हो गया। इस पर्व में नियम निष्ठा का विशेष महत्व है। आज से ही नवविवाहिता 15 दिनों तक ससुराल का ही अन्न ग्रहण करेगी। इस पर्व को मनाने के लिए नवविवाहिता के ससुराल से ही सभी समान आते है।
नव विवाहिता के ससुराल से पर्व के सभी सामान सहित खाने के सामान भी आए है। व्रती 15 दिनों तक नीचे में ही सोती है और ससुराल से आए अरबा भोजन ही ग्रहण करती है। व्रती झाड़ू आदि नहीं छूती है, और प्रतिदिन संध्या पहर अपने अन्य नव विवाहिता व गांव की सखियों संग पहर फूल लोढने जाती है।
यह बहुत ही मनभावन होता है और सभी अंत में फूल लोढने के बाद मंदिर पर नवविवाहिता जमा होती है।जहां फूल डाला सजाया जाता है। लोगों को यह पर्व बड़ा ही सुलभ लगता हो लेकिन यह व्रत बहुत कठिन है। क्योंकि पूरी नियम निष्ठा से यह व्रत किया जाता है। घंटों भर पूजा के समय बैठना पड़ता है। तथा महिलाएं जुट कर गीत गाती है।
इस पूजा में माता गौड़ी की बासी फूल से ही पूजा की जाती है। पंचमी के प्रथम दिन पहले गौरी की फिर नाग नागिन,विषहारा की पूजा होती है। उसके बाद चनाय का पूजा होता है अपने पति के लंबी आयु,मायका और ससुराल की खुशियों के लिए यह व्रत मुख्य रूप से किया जाता है। इस पर्व में पंडित भी महिला ही रहती है।
कथा भी महिला पंडित के द्वारा ही सुनाया जाता है और पूजा भी उन्हीं के द्वारा कराया जाता है। कहा जाता है कि जो महिला रोज इस बीनी को पढ़ती है उसे हर प्रकार की सुख संप्रदा और परिवार हंसी खुशी से बितता है इसमें पांच बीनी होता है।