जयनगर। अनुमंडल मुख्यालय स्थित ग्रामीण कार्य विभाग के उदासीन रवैये के कारण प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में बनाए गए सड़क बनते के साथ ही ध्वस्त होने लगी है।
नव निर्मित सड़क या निर्माण एजेंसी की ओर से पांच सालों तक रख रखाव के नाम पर विभागीय अधिकारियों के मिलीभगत से राशि निकासी के बाद भी जर्जर सड़क मरम्मती कार्य कागज पर खानापूर्ति की जाती है। ध्वस्त सड़क समेत अन्य समस्याओं को लेकर लोग जब जयनगर स्थित ग्रामीण कार्य विभाग कार्यालय पहुंचते हैं तो अधिकारी और अभियंता दोनों कार्यालय से हमेशा नदारद पाए जाते हैं।
जयनगर प्रखंड के डोड़वार पंचायत के ब्रह्मोतर डोड़वार से कमला नदी के पश्चिमी तटबंध तक लगभग दो किलोमीटर सड़क निर्माण कार्य सम्पन्न के साथ ही ध्वस्त होने का दौर शुरू हो गया।
विभागीय अधिकारियों के द्वारा उक्त सड़क पर मरम्मती हेतु रुचि नहीं दिखाने के कारण वर्षों बाद भी जर्जर और ध्वस्त सड़क की मरम्मती नहीं कराई गई। डोड़वार गांव निवासी बिहारी यादव,ब्रज मोहन यादव,मदन यादव,सुंदर मुखिया,राम प्रसाद ठाकुर एवं दिनेश साह समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि लगभग दो किलोमीटर की सङक निर्माण के लिए विभाग की ओर से कार्य एजेंसी को निर्माण के लिए लगभग ढ़ाई करोड़ रुपये प्राक्कलन से पांच साल तक रख रखाव के लिए कार्य आवंटन किया। जिसे निर्माण एजेंसी ने अक्टूबर 17 को कार्य समाप्त कर दिया।
पांच सालों तक सड़क रख रखाव उसे ही करना था। लेकिन वर्ष 19 में कमला नदी में आयी प्रलयकारी बाढ़ के कारण सङक कई स्थानों पर क्षतिग्रस्त और ध्वस्त हो गया। क्षतिग्रस्त सङक को दो साल होने के बाद भी निर्माण ऐजेंसी के की ओर से मरम्मती कार्य नहीं कराया गया। जिस से ग्रामीणों को आवागमन में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा ।
ग्रामीणों ने बताया कि निर्माण ऐजेंसी को उक्त सङक रख रखाव वर्ष 24 तक करना है। परंतू ऐसा नहीं किया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो ग्रामीण कार्य विभाग के द्वारा निर्माण ऐजेंसी के माध्यम जो भी सड़क निर्माण कार्य कराया जाता है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद अंतिम विपत्र कार्यालय से बनने के बाद ऐजेंसी को पांच सालों तक उक्त सङक का रख रखाव किया जाना है।
विभागीय अधिकारियों व निर्माण ऐजेंसी के साठगांठ के कारण किसी भी सड़क को निर्माण के बाद रख रखाव के नाम पर सरकारी राजस्व का उठाव कर लिया जाता है। तथा सड़क मरम्मती के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। जयनगर प्रखंड क्षेत्र के दर्जनों पंचायतों में एक जैसा हाल देखने को मिल रहा है। सरकार गोपनीय स्तर पर इस की जांच करे तो कई दफन राज से पर्दा उठ सकता है।