अप्रैल,24,2024
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Gaya : गया के डीएम अभिषेक सिंह का बिहार कैडर का कार्यकाल दस अप्रैल को ही हो चुका था पूरा, मगर बतौर डीएम उन्होंने मेडिकल कॉलेज में भर्ती मरीजों और परिजनों के लिए ऐसा कुछ कर डाला, लोग कह रहे डीएम हो तो ऐसा

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या। अभिषेक सिंह ने बतौर गया जिलाधिकारी के रुप में अधिकारियों के साथ अंतिम बैठक कोविड 19 से संबंधित आपदा प्रबंधन समूह से की। अभिषेक सिंह का बिहार कैडर का कार्यकाल 10 अप्रैल को समाप्त हो गया था लेकिन वें राज्य सरकार के अधीन 05 मई तक गया में जिलाधिकारी के रुप में कार्यरत थे। अभिषेक सिंह त्रिपुरा कैडर के आईएएस अधिकारी हैं।

उन्होंने बताया कि गया के अनुग्रह नारायण मगध मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल में भर्ती मरीजों के परिजनो  के लिए तीन मोबाइल नंबर जारी किया गया है।
उन्होंने बताया कि एएनएमएमसीएच में भर्ती मरीजो के परिजन वीडियो कॉल के माध्यम से अपने मरीजो की स्थिति के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकेंगे। इसके लिए एएनएमएमसीएच के एमसीएच ब्लॉक में तीनो मंज़िल पर लगे टेबलेट के माध्यम से मरीज के परिजन अपने मरीज के इलाज, खानपान, दवा तथा स्थिति के संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इस सम्बंध में 3 व्हाट्सएप नंबर जारी किए गए हैं।
● *प्रथम मंजिल के लिए – 9471894156*
 ● *द्वितीय मंजिल के लिए – 9471889463*
 ● *तृतीय मंजिल के लिए – 9471894312*
 प्रत्येक मंजिल पर पारामेडिकल स्टाफ रहेंगे। जिनसे वीडियो कॉल करके मरीज का नाम, बेड संख्या बताकर उनसे बात करने का अनुरोध किया जाएगा। साथ ही मरीज से बात करने वाले को यह भी बताना अनिवार्य होगा कि भर्ती मरीज से उनका क्या संबंध है।
 डीएम अभिषेक सिंह कोविड के बचाव एवं सुरक्षा के संबंध में तथा ज़िले के विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सीजन की उपलब्धता, बेड की उपलब्धता, मरीजो का समुचित ईलाज़, ई-पास की सुविधा, सामुदायिक किचन की व्यवस्था, ग्रामीण क्षेत्रों में हाई रिस्क जोन की टेस्टिंग की सुविधा बढ़ाने सहित एएनएमएमसीएच की आवश्यकता एवं समस्याओं एवं भर्ती मरीजो के परिजन की अपने मरीज के संबंध में जानकारी की सुविधा के बारे में विस्तार से समीक्षा की। जिला पदाधिकारी ने निदेश दिया कि ग्रामीण क्षेत्रों में हाई रिस्क जोन में टेस्टिंग को बढ़ाने की आवश्यकता है। इधर, डीएम श्री सिंह की इस कार्यशैली की पूरे बिहार में तारीफ हो रही है। लोग यही कह रहे हैं, डीएम हो तो अभिषेक सिंह जैसा। कारण भी है, इस महामारी के दौर में अपनों की जान के प्रति चिंतित लोगों को थोड़ा भर सुकून मिल जा रहा है तो वह उसी में खुश और संतुष्ट हो रहे हैं। अस्पताल के भीतर जाने के बाद अपनों का एक झलक देख पाना कितना सुकून भरा होगा यह किसी पीड़ित व्यक्ति से ही पूछिए..।

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