उत्तर प्रदेश विधानसभा की चुनावी हलचल से Bihar का सियासी पारा गरम हो चुका है। जानिए मंसूबे की जमीनी हकीकत, किसके खिलाफ बन रही रणनीति। किस पार्टी का क्या है एजेंडा…?
बक्सर विधानसभा के राजपुर (सुरक्षित) सीट से छेदी पासवान और बक्सर सदर सीट पर प्रोफेसर हृदय नारायण सिंह कुछ इन्ही कारणों को लेकर बसपा का परचम लहरा चुके है।
हाल के दिनों में बासपा सुप्रीमो मायवती की ओर से अपने दल से बासपा विधायको व वरीय नेताओं को निष्कासन किये जाने का परिणाम यह हुआ की बीते गुरूवार के दिन जिला मुख्यालय (बक्सर) में बासपा के बक्सर ,रोहतास और कैमूर जिला ईकाई से जुड़े सौ पदधारक नेताओं ने बासपा (यूपी) से निष्कासित विधायकों और वरीय नेताओं के समर्थन में सामूहिक इस्तीफा दे दिया।
बिहार प्रदेश बासपा महासचिव सुरेश राजभर ने शुक्रवार को बताया कि बासपा सुप्रीमो बहन मायावती स्वर्गीय कांशीराम के सिद्धांतो से विरक्त हो पूरी तरह तानाशाही तौर तरीके से पार्टी चलाना चाह रही है,जो हमे मंजूर नही।उन्होंने कहा की निष्कासित पार्टी विधायकों समेत वरीय नेताओं को न्याय नही मिला तो हम पूरे पूर्वांचल में पार्टी के हितो में और पार्टी सुप्रीमो के विरोध में बासपा पदधारक नेताओं से चुनाव पूर्व सामूहिक इस्तीफा देने का अभियान चलाएंगे।
स्थानीय राजनितिक विश्लेषकों का मानना है कि बीते बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का मुस्लिम -यादव (माय )समीकरण के पुनः हावी होने और पिछड़ी जाती का बसपा से मोहभंग के कारण ही राजपुर सुरक्षित सीट और सदर सीट पर बासपा प्रत्याशी अपनी जमानत गंवा बैठे।
राजनितिक जानकारों के अनुसार लोक जन शक्ति पार्टी में बिखराव का भूचाल और बसपा की फुट भारतीय जनता पार्टी के लिए एक अवसर के रूप में है।यह अब पार्टी के ऊपर है कि वह इस अवसर का लाभ उठती है या गंवाती है।राजद भी अपनी पैनी नजर इन हालातों पर बनाये हुए है।जबकि चंद माह के दौरान ही यूपी विधान सभा चुनाव में जाने वाला है।
पूर्वांचल के इस अहम राजनितिक धरातल के रास्ते ही राजद ,लोजपा सम्भवतः तृणमूल कांग्रेस यूपी की राजनीत में दखल दे भाजपा को चुनौती देने का मंसूबा बना रही है।