कमतौल। दरभंगा के सांसद व भाजपा नेता गोपाल जी ठाकुर ने बुधवार को सिंहवाड़ा प्रखंड के टेकटार पंचायत के सिरहुल्ली गांव पहुंचकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के फैन संतोष झा की विधवा पत्नी को अपनी ओर से 25 हजार नकद देकर हर संभव सहायता का भरोसा जताया।
मौके पर पीड़ित परिवार को सांतना देते हुए सांसद ठाकुर ने कहा, संतोष झा की दोनों पुत्री को दरभंगा स्थित केन्द्रीय विद्यालय में मैं एडमिशन करा कर शिक्षा दिलवाने का काम करूंगा।
कहा, संतोष झा जैसा कार्यकर्ता होना पार्टी के लिए गर्व की बात है। वह एक ऐसे कार्यकर्ता थे जो देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सम्पूर्ण कार्यक्रमों में निहायत गरीब होने के बाबजूद अपनी ओर से खर्चा कर ठीक पीएम के बगल में एक हाथ में चाय की केटली व दूसरे हाथ में भाजपा के झंडा लहराते रहते थे। जो अब शायद यह दृश्य अब पीएम के कार्यक्रम में देखने को किसी भारतवासी को नजर नही आएगा।
जानकारी के अनुसार, संतोष झा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व भाजपा के ऐसे दीवाना कार्यकर्ता थे जो आर्थिक रूप से सबल नहीं होने के बाबजुद ठंडी हो या गर्मी, मौसम अनूकूल हो या प्रतिकूल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सभी रैलियों में मौजूद रहते थे। वहां स्वयं के ख़र्चे पर पहुंच पीएम के गैलरी के पास खड़े होकर अपने सम्पूर्ण शरीर को पेंट कराकर एक हाथ में चाय के केटली तो दूसरे हाथ मे भाजपा का झंडा लहराते हुए चाय बाले प्रधानमंत्री की पुष्टि करते दिखते थे।
संतोष ऑटो चलाकर 30 वर्षीय पत्नी नीतू देवी व दो पुत्री 10 वर्षीय नीता कुमारी एवं 6 वर्षीय अराध्य कुमारी की भरण पोषण करते थे। वह मुख्य रूप से समस्तीपुर जिला के खानपुर थाना क्षेत्र केखतुआह गांव के रहने वाले थे। वहां उनको घर नही था, दरभंगा में एक किराए के छोटे से घर मे भाड़ा पर रहते थे।
लेकिन भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री के उमीदवार चाय वाले प्रधानमंत्री का नशा उनपर ऐसा सवार था कि कहीं भी उनका कार्यक्रम होता था तो परिवार की परवरिश की चिंता किए बिना वह अपने खर्चा पर सम्पूर्ण शरीर को भाजपा के रंग में रंग कर हाथ के एक चाय की केटली व भाजपा का झंडा लिए हुए प्रधानमंत्री के कार्यक्रम में शामिल होकर सुर्खियां बंटोरते रहते थे। यही कारण है कि संतोष की मौत के बाद पत्नी व दो पुत्री आज रोटी कपड़ा और मकान के लिए तरस रही है। जिस कारण वह दरभंगा का डेरा, समस्तीपुर की ससुराल छोड़ कर सिरहुल्ली स्थित अपने मयके में पिता के यहां शरणार्थी बनकर रहने को मजबूर है।