दरभंगा। मैथिली साहित्य की वरिष्ठ कवयित्री प्रभा झा के निधन पर विद्यापति सेवा संस्थान ने मंगलवार को शोक संवेदना व्यक्त किया है। अपने शोक संदेश में संस्थान के महासचिव डॉ बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने उनके निधन को मिथिला एवं मैथिली साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति बताया।
उन्होंने कहा कि मातृभूमि एवं मातृभाषा के प्रति गहरी आस्था रखने वाली स्वाभिमानी मैथिली कवयित्री के रूप में मैथिली साहित्य की गई उनकी सेवा हमेशा अविस्मरणीय बनी रहेगी। ( “…her first poem was published in Mithila Mihir’s issue on 27 November 1960” Vidyapati Seva Sansthan expressed condolences on the death of Prabha Jha, a senior poetess of Maithili literature. )
शेफालिका वर्मा सदृश साहित्यकार की सहपाठी और अटल बिहारी वाजपेयी की सौ कविताओं का मैथिली में अनुवाद करने वाली कुमकुम झा की माता रही प्रभा झा ने पारिवारिक झंझावातों के बीच साहित्य सृजन की उन्होंने जो अद्भुत मिसाल कायम की, वह सदैव अनुकरणीय बना रहेगा।
मैथिली अकादमी के पूर्व अध्यक्ष पं कमला कांत झा ने उनके निधन को मैथिली साहित्य जगत के लिए अपूर्णीय क्षति बताते हुए कहा कि प्रभा जी की प्रतिभा का अंदाजा इस बात से सहज ही लगाया जा सकता है कि उनकी लिखी पहली कविता मिथिला मिहिर के 27 नवंबर1960 के अंक में प्रकाशित हुई थी।
( “…her first poem was published in Mithila Mihir’s issue on 27 November 1960” Vidyapati Seva Sansthan expressed condolences on the death of Prabha Jha, a senior poetess of Maithili literature. ) उनके निधन पर साहित्यकार मणिकांत झा, जीवकांत मिश्र, डाॅ महेन्द्र नारायण राम, हरिश्चंद्र हरित, प्रो विजयकांत झा, विनोद कुमार झा, हीरा कुमार झा, प्रो चंद्रशेखर झा बूढाभाई, डॉ गणेश कांत झा, आशीष चौधरी, चंदन सिंह, चौधरी फूल कुमार राय, दुर्गानंद झा आदि ने भी अपनी शोक संवेदना प्रकट की।