मुख्य बातें
दुनिया को मानवाधिकार समझाने वाले ‘प्यारे नबी‘ के खिलाफ गलतबयानी से देश को हो रहा नुकसानः नजरे आलम
नरसिंहानन्द जैसा पापी देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा हैः बेदारी कारवां
दुनिया को मानवाधिकार समझाने वाले ‘प्यारे नबी‘ के खिलाफ गलतबयानी से देश को हो रहा नुकसानः नजरे आलम
नरसिंहानन्द जैसा पापी देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा हैः बेदारी कारवां
दरभंगा। आमतौर पर शांत रहने वाला दरभंगा शहर आज सर पे टोपी, चेहरे पर मास्क और जुबां पर ‘या रसूलअल्लाह‘ का नारा लगाने वाले दीवानों से पट गया। मामला नबी की शान में गुस्ताखी का था और आह्वान ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवां के सदर नजरे आलम के द्वारा किया गया था।
12 बजे दिन,में सर पर कड़ाके की धूप भी आशिके रसूल के जोरदार नारों और बुलंद हौसलों के आगे पिघल रहा था। मुसलमानों के सैकड़ों मुकदमों के बावजूद अभी तक पापी नरसिंहानंद की गिरफ्तारी न होने के कारण बहुत बेचैनी है जो आज सड़कों पर विरोध मार्च के रूप में नजर आयी।
एक तरफ तो मामला पापी नरसिंहानन्द की गुस्ताखी का था ऊपर से रमजान के महीने में मस्जिदों में तालाबन्दी से मुस्लिम नौजवानों का गुस्सा और सातवें आसमान पर है।
बेदारी कारवां के अध्यक्ष नजरे आलम इस मार्च की शांतिपूर्ण और सफलतापूर्वक अगुवाई कर रहे थे। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए बताया कि हम मुसलमानों की जिंदगी प्यारे नबी के एहसानों के तले दबी हुई है, हमें पूरी दुनिया में जो कुछ भी हासिल हुआ है सब उन्हीं के सदके में है।
ऐसे में अगर कोई भी कितना भी ताकतवर क्यों न हो अगर उनके खिलाफ गलत और गंदी भाषा का जानबूझकर प्रयोग करेगा तो हम गय्यूर मुसलमान ये कभी बर्दाश्त नहीं करेंगे, इसीलिए हम आज सड़कों पर आए हैं ताकि इन पापी और इन्हें संरक्षण देने वाले गुंडों को पता चल जाए कि आखिर उन्होंने बहुत बड़ी गलती की है जिसकी सजा उन्हें हम दिलवाकर ही रहेंगे।
हमें ये महसूस होता है कि सरकारें इस तरह के पापियों को जानबूझकर संरक्षण दे रही है ताकि वो मासूम मुसलमानों की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करते रहें और जब मुसलमान विरोध करे तो वो बेचारे मुसलमानों पर जुल्म करें, कोरोना का बहाना या शांति व्यवस्था का बहाना बनाकर उनपर कारवाई करें।
श्री आलम ने सरकारों को चेताते हुए कहा कि सरकारें थक जाएंगी मगर ऐसे पापियों के खिलाफ उठने वाले सर कभी कम न होंगे, न इन पापियों के खिलाफ उठने वाली आवाजें कोई दबा सकेगा। मैं तमाम मुसलमानों की तरफ से ये कहना चाहता हूँ कि यकीनन ये हमारा मुल्क है हम इसके जिम्मेदार नागरिक हैं मगर प्यारे नबी की इज्जत से खिलवाड़ के बदले हमें कोई शांति, कोई समझौता मंजूर नहीं है।
हम भी चाहते हैं कि मुल्क में अमन हो, शांति और सौहाद्र बना रहे मगर ये तो वो लोग जवाब दें जो इस तरह की घिनौनी हरकतें करते हैं या वो जो इन पापियों की हिमायत करते हैं। बिना चिंगारी कोई आग नहीं लगती, कोई धुआं नहीं उठता। मुल्क की सत्तासीन सरकार को चाहिए कि वो चिंगारी को आग में बदलने से पहले अपने अच्छे प्रयासों से रोक ले, ऐसे नापाक लोगों को अविलंब गिरफ्तार करके कड़ी सजा दे। तभी हमारे दिलों को चैन मिलेगा तभी हम भी सरकार को अपना सहयोग दे पाएंगे अन्यथा हम भी झुकने वाले नहीं हैं।
साथ ही श्री आलम ने ये भी कहा है कि ऐसे समय में जब हर चुनावी राज्यों में लाखों की भीड़ वाली रैलियां और सभायें हो रही हों, देश का प्रधानमंत्री और गृह मंत्री कोरोना नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा हो तो भला आम आदमियों को इबादत करने से रोकने का हिटलर फरमान जनता क्यों माने।
हम नीतीश सरकार के इस आदेश की खुली मुखालिफत करते हैं और इस फैसले पर पुनर्विचार कर खत्म करने की मांग करते हैं। याद रहे आस्था भारत के नागरिकों को शक्ति देती है, प्रार्थनाओं से लोगों को हिम्मत और सुकून मिलता है मगर जानें क्यों सरकार को सिर्फ इबादतगाहों में ही कोरोना दिखाई पड़ता है।
ऑल इंडिया मुस्लिम बेदारी कारवां ने अपनी दोनों मांगों को दरभंगा जिलाधिकारी के माध्यम से मेमोरेंडम के द्वारा देश के महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और बिहार सरकार के मुखिया नीतीश को पहुंचाने का काम किया है।
जुलूस में मौलाना समिउल्ला नदवी, मौलाना असद रशीद नदवी, कारी सईद जफर, मोतिउर रहमान, हीरा नेजामी, जिशान अख्तर, अहमद बशर, मो. हुसैन, राजा खान, कुद्दृस सागर, मो. नूरएैन, मो. चांद, हाफिज जियारतुल्लाह, मो. अलकम, मो0 उसमान, अब्दुल्लाह, मो0 आफताब, एहसानुलहक आरजु समेत हजारों लोगों ने शिरकत की।