दरभंगा। महारानी अधिरानी रमेश्वर लता संस्कृत महाविद्यालय में महिला दिवस मनाया गया। एक भारत श्रेष्ठ भारत के नोडल पदाधिकारी व राष्ट्रीय सेवा योजना पदाधिकारी के संयुक्त तत्वाधान में उक्त कार्यक्रम अनुष्ठित हुआ।अध्यक्षता करते हुए महाविद्यालय के प्रधानाचार्य डॉ.दिनेश झा जी ने संबोधन करते हुए कहा कि वैदिक कालीन सभ्यता में महिलाओं का स्थान बहुत हीं प्रोन्नत्मान का रहा जिसका फलस्वरूप गार्गी, मैत्रेयी, घोषा आदि ऋषित्व को प्राप्त करने में समर्थ हुई थी, अवगाहन के बिना हीं हम कह देते हैं कि वैदिक सभ्यताओं में महिलाओं का प्रोन्नतमान का नहीं था, मध्यकालीन समय में जब हम यवनों का आक्रमण से पीड़ित होने लगे उस समय भी हम अपनी लड़की को सुरक्षित रखने के लिए बाल विवाह जैसे प्रथा का सम्मान किया जिससे हमारी मां, बहनादि अपने को सुरक्षित बोध करती थी,क्रूर शासकों से बचने व बचाने के लिए हमेशा से हमारे भारतीय मनीषी प्रयत्नशील रहे हैं।
इसी बात को पाश्चात्य विद्वानों के समुपासक हमारे भारतीय विद्वानों में बहुत हीं रोचकताओं के साथ प्रस्तुत करते है परंतु इसमें यथार्थता की सत्यता है हीं नहीं वस्तुतः भारतीय मनीषी गण अपने मातृ प्रेम,भगिनी प्रेम,पुत्री प्रेम के लिए विख्यात रहे हैं,आज के समय में तो हमारी बेटी भगिनी आदि सभी कार्यों में अपनी सहभागिता दिखाती हैं इसका मुख्य कारण स्वतंत्र विश्व की वैचारिक स्थिति हीं कहनी होगी,इस कार्यक्रम में साहित्य विभागीया प्राध्यापिका डॉ.निशा, व्याकरण विभागीया प्राध्यापिका प्रियंका तिवारी,ज्योतिष विभागीया प्राध्यापिका डॉ.मैथिली कुमारी ने भी अपना- अपना पक्ष रखा कार्यक्रम में अन्य प्राध्यापक, प्राध्यापिका,छात्र – छात्रा तथा कर्मचारीगण उपस्थित रहे ।।