बिरौल देशज टाइम्स ब्यूरो। स्कूलों में मध्याह्न भोजन के स्थान पर यहां पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को प्रति माह उनके हिस्से का खाद्यान्न उपलब्ध कराने का आदेश विभाग दे रखा है। बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों मे कई ऐसे सरकारी स्कूल हैं जहां प्रधानाध्यापक की मनमानी के कारण बच्चों को उचित खाद्यान्न भी नहीं मिल पाता है। ऐसा ही एक मामला गौड़ाबौराम प्रखंड के माध्यमिक विद्यालय बौराम का है। जहां बच्चों के खाद्यान्न में कटौती की जाती है अभिभावकों मे ललिता देवी,कमली देवी,इनर देवी,रेणु देवी,चन्दा देवी सहित कई अभिभावकों का कहना था कि हम लोगों के बच्चे को समय पर सरकार द्वारा निर्धारित किए गए खाद्यान्न स्कूल के प्रभारी देने मे आनाकानी करते हैं।
रविवार को दस बजे दिन से स्कूल के बरामदे पर प्रभारी का इंतजार कर रही हूं लेकिन वे अभी तक नहीं आए हैं। अभिभावकों का आरोप है कि प्रत्येक माह मे खाद्यान्न नहीं मिलता है। किसी माह में अगर मिला भी तो वजन के बदले डब्बे से दिया जाता है। बाहर वजन कराने पर लगभग आठ ग्राम खाद्यान्न कम रहता है।
इसके लिए जब प्रधानाध्यापक से शिकायत की जाती है तो वे अनदेखी कर स्कूल से बाहर जाने को कहती है। स्कूल के प्रधानाध्यापक रूकसाना प्रवीन ने बताया कि कोरोना को देखते हुए कम संख्या में बच्चों के बीच खाद्यान्न का वितरण किया जाता है।विभागीय आदेशानुसार इस विद्यालय में शिक्षकों की उपस्थिति 33 प्रतिशत होनी चाहिए लेकिन एक भी शिक्षक स्कूल में मौजूद नहीं थे।बीईओ से संपर्क करने पर उनका मोबाईल फोन ऑफ था।