Letter from Editor-in-chief Manoranjan Thakur on Deshaj Times’s Mission.

देशज टाइम्स क्यों शुरु हुआ?

इस सवाल का सीधा जवाब देशज समूह के संपादकीय डॉयरेक्टर मनोरंजन ठाकुर ने कुछ यूं दिया…कहा, पत्रकारिता को लगातार हाशिए पर लटकते देखना। पत्रकारिता के बेपर्द होते चरित्र। पाठकों से लयात्मक तारतम्य का टूटता रिश्ता। पाठकों के मंच को खरीदने की बेवजह होती, दिखती कोशिश। अखबारों की घटती साख। सच स्वीकारने, लिखने की कहीं नहीं दिखती चाहत। कॉरपोरेट जगत की दखल अंदाजी। अखबारों पर सरकार का बढ़ता दबाव। यही है आज की पत्रकारिता जिससे उबरना समय की मांग है। उस समय की जो चुनौतियों से भरा है। यह उन पाठकों, जनता या फिर उन आम लोगों की जरूरतों के लिए जरूरी है जो सुबह सबसे पहले अखबार टटोलने की आदी बन चुके हैं। ठाकुर बताते हैं, पाठक मजबूर हैं। पाठक चाहकर भी बोल नहीं सकते। आप ही देखिए, अखबारी चरित्र कुछ यूं आपके सामने है जहां, संपादकीय पृष्ठ से पाठक मंच का खात्मा करने की नापाक कोशिश साफ दिख रही है।

देशज को यह सब कतई मंजूर नहीं। पाठक हमारे सबसे अहम हिस्सा हैं। उस हिस्सेदारी के बगैर हमारा वजूद कुछ भी नहीं। मगर दु:खद यही, उस वजूद को ही खरीदने, मिटाने, नष्ट करने पर आज आमादा कौन है वही अखबार समूह जो आज गुणात्मक अभिव्यक्ति के बदले बाजारी औजार से उस पाठक वर्ग में छेद करते सामने है। ठाकुर बताते हैं, पत्रकारिता मिशन को आवाम के साथ जोड़े रखने की देशज की जिद आज उस तंत्र की सबसे बड़ी जीत बनकर सामने साफ दिखाई दे रहा जहां एक स्वतंत्र पाठकों का समूह देशज की अनवरत खबरों के साथ संतुष्ट है। आपसे भी विनम्र अनुरोध, देशज की मुहिम में अपना साथ दीजिए।

आप हैं तो हम हैं। तभी जिंदा पत्रकारिता है। हमनें उस पत्रकारिता के तेवर को आक्रामक बनाने की जिद ठानी है जिसके बिना एक स्वस्थ, निष्पक्ष, ईमानदार, कसौटी से लबालब पत्रकारिता की कल्पना आज के परिवेश में संभव नहीं। तभी तो देशज है असंभव से आगे। एक फ्री का अखबार।पढ़िए जाग जाइए। मिथिलांचल का जन-गण-मन, एक ऐसा अखबार जो आपके मोबाइल तक खबरों की शुरूआत दिन शुरू होने के साथ रात होने तक अनवरत सबसे पहले पहुंचाने की ठान ली है। देश ही नहीं, संपूर्ण बिहार की खबरों के लिए अब कहीं जाने की जरूरत नहीं।

दरभंगा, मधुबनी की बेहतरीन, ताजातरीन खबरों को समेटे देशज टाइम्स अब एक ऐसा पाठकीय मंच बनकर तैयार है जिसके तीन लाख पाठक हैं। ठाकुर बताते हैं, बीस जुलाई 2018 को देशज की शुरूआत हुई। हम एक साल के होने जा रहे हैं। इन कम समय महज 365 दिनों में तीन लाख पाठकों की धमक एक मंच पर कतई उत्साहवर्द्धक है।

हम निरंतर बढ़ेंगे, नवविहान गढ़ेंगे। पत्रकारिता के हर उस शब्द को मिशन बनाएंगें जिसकी जरूरत आज संपूर्ण बिहार महसूस रहा है। बस… एक निष्पक्ष अखबार जो है देशज।