पटना, देशज टाइम्स। मंदार आस्था का पर्वत है। अब यही आस्था का केंद्र बिहार की सोई किस्मत जगाएगा। हिंदू मान्यताओं के अनुसार समुद्र मंथन में देवताओं ने मंदराचल यानी मंदार पर्वत को मथनी बनाया था। सदियों से खड़ा मंदार आज भी लोगों की आस्था का पर्वत है। यह बांका जिला में अवस्थित है। लोक मान्यता है कि भगवान विष्णु सदैव मंदार पर्वत पर निवास करते हैं। ऐसा माना जाता है, यह वही पर्वत है, जिसकी मथानी बनाकर कभी देव व दानवों ने समुद्र मंथन किया था। मकर–संक्रांति के अवसर पर यहां एक मेला भी लगता है, करीब पंद्रह दिन तक चलता है। मंदार पर्वत से लोगों की आस्थाएं कई रूप से जुड़ी हैं। हिंदुओं के लिए यह पर्वत भगवान विष्णु का पवित्र आश्रय स्थल है तो जैन धर्म को मानने वाले लोग प्रसिद्ध तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य से इसे जुड़ा मानते हैं। आदिवासियों के लिए मंदार पर्वत एक सिद्धि क्षेत्र है जहां वे प्रतिवर्ष तेरह जनवरी की रात्रि में रातभर राम–लक्ष्मण की साधना करते हैं। यह सबसे बड़ा संताली मेला है जहां प्रतिवर्ष रातभर के लिए एक लाख से अधिक लोग (सफा संप्रदाय के अनुयायी) आते हैं। इस संप्रदाय को बाबा चंदर दास ने बनाया था। बौंसी में लगनेवाले प्राचीन बौंसी मेले को अब ‘राजकीय मेला‘ का दर्ज़ा प्राप्त हुआ है।
अब यही मंदार काला हीरा उगलेगा। यानी कोयले का खदान यहां मिल गया है। इस मामले में किस सेंट्रल माइंस एंड प्लानिंग डिजाइन इंस्टीट्यूट सीएमपीडीआई ने मंदार पर्वत में कोयले की पहले खान की तलाश पूरी कर ली है। सेंट्रल माइंस एंड प्लानिंग डिजाइन इंस्टीट्यूट अब निरीक्षण करने में जुटा है। यहां खोजा जा रहा है, मंदार पर्वत ब्लॉक क्षेत्र में मिले इस पहली कोयला खदान में कोयला कितना है। बताया जा रहा है, कोयला खदान से संबंधित रिपोर्ट कंपनियों को भेजी जा रही है। साथ ही उत्पादन के लिए ड्राफ्ट प्रोजेक्ट रिपोर्ट भी तैयार की जा रही है। सीएमपीडीआई सेंट्रल माइंस एंड प्लानिंग डिजाइन इंस्टीट्यूट सेंट्रल माइंस एंड प्लानिंग डिजाइन इंस्टीट्यूट के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक की मांने तो बिहार में कोयले की खान तलाशना बिहार के साथ ही सीएमपीडीआई के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने बताया,अब बिहार भी खनन मानचित्र से जुड़ जाएगा। निदेशक ने कहा कि कोयला खदान मिलना बिहार के आर्थिक सेहत के लिए अच्छा होगा।