नागरिकता संशोधन पर अमेरिकी आयोग का बयान एकतरफा व पूर्वाग्रह से ग्रसित : विदेश मंत्रालय,लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद अमेरिका के एक अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेकर बयान जारी किया है। इसमें उनपर बैन लगाने की मांग की है। इस मसले पर अब भारत के विदेश मंत्रालय ने जवाब दिया है और कहा है कि इस संस्थान का जो ट्रैक रिकॉर्ड रहा है, उससे वह चौंके नहीं हैं। फिर भी वह उनके इस बयान की निंदा करते हैं
मुख्य बातें
- अमेरिकी संस्था के बयान पर विदेश मंत्रालय की टिप्पणी
- USCIRF का जैसा रिकॉर्ड उनसे ऐसी ही उम्मीद थी: MEA
- अमेरिकी संस्था ने की थी अमित शाह पर बैन की मांग
नई दिल्ली, देशज न्यूज। विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को ‘अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग’ (यूएससीआईआरएफ USCIRF) के नागरिकता संशोधन विधेयक और गृहमंत्री अमित शाह पर दिए बयान को एकतरफा और पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया है। मंत्रालय का कहना है कि अमेरिका सहित हर देश को अपने नागरिकों की पहचान करने का अधिकार है। यूएससीआईआरएफ ने नागरिकता संशोधन विधेयक को गलत दिशा में उठाया कदम बताया है और राज्यसभा में विधेयक के पारित होने के बाद अमित शाह पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग की है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने इस पर सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है, यूएससीआईआरएफ USCIRF पहले भी इस तरह के बयान देता रहा है और इस बयान में कुछ भी आश्चर्यजनक नहीं है। आयोग का अधूरी जानकारी के साथ कार्यक्षेत्र से बाहर के विषयों पर टांग अड़ाते हुए एकतरफा और पूर्वाग्रह से ग्रसित बयान देना अफसोसजनक है। उन्होंने कहा, अमेरिकी आयोग द्वारा नागरिकता (संशोधन) विधेयक पर दिया गया बयान गैर-जरूरी और तथ्यों से परे है। यह विधेयक भारत में पहले से रह रहे कुछ देशों में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार अल्पसंख्यकों को शीघ्रता से भारतीय नागरिकता दिए जाने पर विचार करने से जुड़ा प्रावधान है।
उन्होंने कहा, “विधेयक उत्पीड़न के शिकार लोगों की वर्तमान कठिनाइयों को दूर करने और उन्हें बुनियादी मानवाधिकार देने से जुड़ा प्रयास है। इस तरह की पहल का स्वागत किया जाना चाहिए न कि धार्मिक स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध लोगों द्वारा इसकी आलोचना की जानी चाहिए।” रवीश ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक किसी भी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता लेने से नहीं रोकता है। भारत का इस संबंध में रिकॉर्ड पूरी तरह से निष्पक्ष है। उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) किसी भी समुदाय से जुड़े किसी भी भारतीय से उसकी नागरिकता छीनने नहीं जा रहा है।