नौसेना के साजो सामान के साथ अपेक्षित बारूद भी भेजने को स्वीकृति दी गई है। यह कुल साजो सामान एक अरब दो सौ करोड़ डॉलर का है। अमेरिका की डिफेंस सिक्योरिटी को-ऑपरेशन एजेंसी ( डीएससीए ) ने कहा है, प्रस्तावित बिक्री अमेरिकी विदेश नीति और राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को बल प्रदान करने के उद्देश्य से की गई है। भारतीय नौसेना के बेड़े में एमके-45 गन सिस्टम आने से समुद्र मार्ग से दुश्मन के हवाई आक्रमण को नेस्तनाबूत किया जा सकेगा।
अमेरिकी रक्षा विभाग के अनुसार,अमेरिका ने पिछले साल ही ‘नाटो’ के मित्र देशों के रूप में भारत को दर्जा दिया है। अब भारत की रक्षा जरूरतों को पूरा करने का बीड़ा उठाया है। इसी तरह नभ से भी एंटी एयर गन सिस्टम से दुश्मन के दांत खट्टे करने में मदद मिलेगी। अमेरिकी बयान में कहा गया है कि बीएई निर्मित इस सिस्टम का उपयोग अमेरिका के अलावा दक्षिण कोरिया ,जापान और डेनमार्क कर रहे हैं। अमेरिकी कांग्रेस ने इस आशय की स्वीकृति मंगलवार को प्रदान की। यह तोपें भारत को कब मिलेंगी, अभी यह साफ नहीं हो सका है। इनकी मारक क्षमता 20 नाटिकल मील बताई जाती है।