मार्च,28,2024
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देवेंद्र फडणवीस का झकझोरता खुलासा, शरद पवार की रजामंदी से बनी थी NCP-BJP की सरकार

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नागपुर, देशज न्यूज। महाराष्ट्र की राजनीति को झकझोड़ने वाली खबर सामने आई है। राज्य में 23 नवम्बर 2019 में बनी एनसीपी-बीजेपी सरकार एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की रजामंदी से बनी थी। नागपुर में हुए एक निजी साक्षात्कार में खुद पूर्व मुख्यमंत्री और नेता प्रतिपक्ष  देवेन्द्र फडणवीस ने यह खुलासा किया है।
महाराष्ट्र की राजनीति में 14 महीने पहले बड़ा उलटफेर देखने को मिला था। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 23 नवम्बर 2019 की सुबह बीजेपी के देवेन्द्र फडणवीस और एनसीपी के अजित पवार को सीएम और डिप्टी सीएम की शपथ दिलाई थी। राज्य की यह सबसे कम समय तक चली सरकार रही। 26 नवम्बर को दोनों (Devendra Fadnavis’s shackle revealed, Sharad Pawar’s consent was made by NCP-BJP government) नेताओं के इस्तीफे के साथ इस सरकार का वजूद खत्म हो गया था। लेकिन यह सरकार एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार की रजामंदी से बनी थी।
नागपुर में 17 जनवरी को दिए एक निजी साक्षात्कार में पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने बड़ा खुलासा करते हुए बताया कि बीजेपी-एनसीपी गठबंधन शरद पवार की अगुवाई और रजामंदी से बना था। दोनों पार्टीयों में किस नेता को कौन-सा पोर्टफोलियो दिया जाए यह भी पवार की जानकारी और रजामंदी से तय हो चुका था। बतौर फडणवीस अजित पवार (Devendra Fadnavis’s shackle revealed, Sharad Pawar’s consent was made by NCP-BJP government) अपनी मर्जी से नहीं बल्की शरद पवार की रजामंदी से उपमुख्यमंत्री बने थे।
सरकार बनाने की कवायद पर जानकारी साझा करते हुए फडणवीस ने बताया कि राजनीति में नैतिकता का होना जरूरी है लेकिन नैतिकता का पालन करने के लिए आपको राजनीतिक तौर पर जीवित रहना उससे भी ज्यादा जरूरी है। नतीजतन राजनीतिक अस्तित्व बनाए रखने के लिए महाराष्ट्र भाजपा ने एनसीपी के साथ गठबंधन करने का फैसला लिया था। फड़णवीस ने बताया कि शिवसेना की ओर से अड़ियल रुख अपनाने के चलते उन्हें एनसीपी के साथ जाने का फैसला करना पड़ा था।
फड़णवीस ने कहा कि दोनों पार्टियों के बीच सारे फैसले हो चुके थे। किसे कौन-सा मंत्रालय दिया जाए, कौन किस जिले का गार्जियन मिनिस्टर होगा, यह सब शरद पवार की जानकारी और रजामंदी से फाइनल हो चुका था। साथ ही फडणवीस ने बताया कि, एनसीपी द्वारा राज्यपाल को भेजी गई चिठ्ठी तक की ड्राफ्टिंग खुद फड़णवीस ने की थी।
क्यों नहीं चल पाई थी सरकार? 
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 105 सीटे जीतने वाली बीजेपी और एनसीपी गठबंधन की सरकार को विधानसभा में फ्लोर टेस्ट पास करना बेहद जरूरी था। एक ओर अपनी राजनीतिक साख बचाने के लिए शरद पवार शिवसेना और काँग्रेस के साथ खड़े रहने के लिए मजबूर थे। वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए (Devendra Fadnavis’s shackle revealed, Sharad Pawar’s consent was made by NCP-BJP government) फ्लोर टेस्ट लाइव करने की मांग रखी थी। कांग्रेस की इस मांग को सर्वोच्च अदालत से मंजूरी मिलने का बाद फड़णवीस और अजित पावर को इस्तीफा देते हुए सरकार बर्खास्त करनी पड़ी थी।

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