हरिद्वार, देशज न्यूज। भारतीय प्राच्य विद्या सोसाइटी के पं. प्रतीक मिश्रपुरी ने कहाकि यूं तो चंद्रमा का दर्शन हमेशा ही सुख प्रदान करता है। कई महत्वपूर्ण व्रत चंद्रमा को देख कर ही खोल जाते हैं, परंतु पूरे वर्ष में एक दिन ऐसा होता है, चंद्र दर्शन निषिद्ध होता है।
मान्यता है, यदि कोई इस दिन चंद्रमा के दर्शन करता है तो उसके ऊपर लांछन लगना तय होता है। भगवान कृष्ण ने इस दिन चंद्रमा का दर्शन किया था तो स्मनतक मणि को चुराने का झूठा आरोप उन पर भी लगा था। ये दिन भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी होता है। इस दिन चन्द्र दर्शन ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से निषिद्ध है।
मिश्रपुरी ने बताया, इसके पीछे पौराणिक मान्यता है, गणपति के शरीर को देखकर चन्द्रमा को हंसी आ गई थी। तब गणपति ने कहा कि आज से जो भी तुम्हारा दर्शन करेगा, वो झूठा आरोप सहेगा। बाद में चंद्रमा की अनुनय, विनय के बाद गणेशजी ने इस श्राप को एक दिन के लिए बांध दिया। उन्होंने बताया कि इसी दिन सिद्धिविनायक गणेश का जन्म हुआ था।
इसी दिन यह श्राप लगता है। मिश्रपुरी के मुताबिक, वैसे भी गणेश बुद्धि के प्रतीक हैं, चंद्रमा मन का। दोनों में दोस्ती नहीं हो सकती। इसका मतलब ये भी है कि जब बुद्धि का जन्म होता है तो मन को नहीं देखना चाहिए।
उन्हाेंने बताया कि इस बार गणेश चतुर्थी 21 अगस्त को है। इस दिन गौरी पुत्र गणेश का उत्सव मनाना चाहिए। अभिषेक करने के साथ दूर्वा से पूजा करें। लड्डू का भोग लगाएं।
मिश्रपुरी के मुताबिक, हस्त नक्षत्र चंद्रमा का प्रिय है। इस दिन यदि आकाश गंगा से आने वाले जल से भगवान गणेश का अभिषेक किया जाए तो रिद्धि सिद्धि घर में निवास करती है। माता पर्वती ने अपने शरीर से गणेशजी की उत्पति की थी। आकाश गंगा में मां पार्वती का नित्य निवास है। वहीं से आया हुआ जल गणेशजी को बहुत प्रिय है। uttarakhand,haridwar,ganesh chaturthi