मौत थम नहीं रही/कफन की सफेदी पर दाग लग गए हैं/ जिंदगी जहां थी वहीं रूकी/ थमी/ सहम सी गई/ मौत ने उसे आगोश में जकड़ा/ मरोड़ा/ वहीं दबोच/ निगल लिया/ फिर जिंदगी दिखी नहीं/ जो दिखी/ अस्पताल में आग लगी/ वहीं जलकर खामोश हो गई/ या अपनों के बिछुड़ने के गम में स्तब्ध/सहसा बुत बन गई/ खुदकुशी तलाश ली/ खो गई/ उसी मौत की बांहों में/ झूल गई/ जवानी की ख्वाहिशें/अधूरी पड़ी/ सो गई/
उसी तकिए पर/ जहां अभी-अभी/ उसकी लाश/ वहीं से उठाकर/ बाहर फेंक दी गई है/ बिस्तर समेत/ देखकर/ जानवरों ने झुंड से अकेला ही/ रास्ता खोजना बेहतर समझा/ वहां से लौट गया/ शमशानों में/ पड़ी-पड़ी/ बारी की ईद-गिर्द/ जो गुत्थी थी/ सुलझी नहीं/ अनसुलझी सी/ उलझ गई/
लौट आया है/ समय/ अपनों को फेंककर/ उसी झाड़ी में/ जहां जिंदगी की दहाड़ मारकर रोती मिली/ कीचड़/ कचरों में ऑक्सीजन तलाशती/ जिंदगी वहीं ढ़ेर मिली/ कफन खोजा/कहां मिली/दुकानें जो बंद मिली/ घर की सफेद चादरों में जिस्मों को लपेट/ उसे उतार फेंका है/ मगर/ संख्या अनगिनत/ गिन ना पाऊंगा/ सबेरा हो चला है/ रात की सन्नाटों से गुजरकर/ शाम होने को है/ अनगिनत…./ अनगिनत…/ कितनों को संख्यावद्ध कर पाऊंगा/ लगता नहीं/ इसबार मैं भी शायद ही जिंदा बच पाऊंगा/
स्तब्धकारी है/तय है/स्पष्ट है/सरकार व्यवस्थापरक त्रुटियों को संभालने में असमर्थ है/ भयावह है/जिस देश की मौजूदा शरीर में एक अदद सूई/उसे देने वाला ना मिले/डॉक्टर की पिटाई/इलाज में लापरवाही/ऑक्सीजन की किल्लत/रेलवे स्टेशनों से भागते-फिरते यात्री/जांच की रिपोर्ट में लोचा/मौत के बाद कफन की जरूरत ही कहां/ शमशानों में लंबी लाइन है लगी/चलो लौट आओ/ लाशों को फेंक दो/
लगातार मौतें/मौत-दर-मौत/हर कोई बारी की इंतजार में/कब आ जाए मौत/कब अस्पतालों के बाद एंबुलेंस पर ही शुरू हो जाए इलाज/कब जांच कराने की कतार में लुढ़क जाए ये जिंदगी/बेशर्मी बड़ी है/मालिक में शर्म कहां बची है/चुनाव की घड़ी है/सत्ता की पड़ी है/अरे जीत जाओगे तुम/मगर, हार जाएगा देश/ये कड़े फैसले का वक्त है/संभल जाओ अभी भी/समय अभी भी शेष है…/