अप्रैल,25,2024
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SC का फैसला : पिता की प्रॉपर्टी में बेटी का हर हाल में आधा हिस्सा, बेटियां हमेशा बेटियां रहती है

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बेटे शादी तक, लेकिन बेटियां हमेशा बेटियां रहती हैं, संपत्ति पर बराबर हक, सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि बेटियों का पिता की संपत्ति पर अधिकार होगा, भले ही हिंदू उत्तराधिकार (अमेंडमेंट) अधिनियम, 2005 के लागू होने से पहले ही कोपर्शनर की मृत्यु हो गई हो। हिंदू कानून के तहत प्रॉपर्टी दो तरह की हो सकती है, एक पिता की ओर से खरीदी हुई, दूसरी पैतृक संपत्ति होती है, जो पिछली चार पीढ़ियों से पुरुषों को मिलती आई है। कानून के मुताबिक, बेटी हो या बेटा ऐसी प्रॉपर्टी पर दोनों का जन्म से बराबर का अधिकार होता है

 

नई दिल्ली, देशज न्यूज। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने एक अहम फैसले में बेटियों को भी पिता या पैतृक संपत्ति में बराबर का हिस्सेदारा माना है। जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच के फैसले में साफ कहा गया है कि ये उत्तराधिकार कानून 2005 में संशोधन की व्याख्या है। कोर्ट ने अपनी अहम टिप्पणी में कहा, बेटियां हमेशा बेटियां रहती हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू अविभाजित परिवार की संपत्तियों में बेटियों के पक्ष में फैसला सुनाया है। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि 9 सितम्बर 2005 के संशोधन के बाद बेटी का भी संपत्ति पर हिस्सा होगा, भले ही संशोधन के समय पिता जीवित था या नहीं। कोर्ट ने कहा कि बेटियां जीवन भर के लिए होती हैं औऱ एक बार जो बेटी होती है वह हमेशा बेटी ही रहती है।
उल्लेखनीय है कि साल 2005 से पहले हिंदू उत्तराधिकार कानून में बेटियों को शादी से पहले तक ही हिंदू अविभाजित परिवार का हिस्सा माना जाता था लेकिन 2005 में संशोधन के बाद बेटी की शादी होने के बाद भी संपत्ति में समान उत्तराधिकारी माना गया है। यानी बेटी की शादी होने के बाद भी वह पिता की संपत्ति में अपना दावा कर सकती है और हिस्सा ले सकती है।

 

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court of India) ने बड़ा फैसला सुनाते हुए कहा है कि बेटियों का पैतृक संपत्ति पर अधिकार होगा, भले ही हिंदू उत्तराधिकार (अमेंडमेंट) अधिनियम, 2005 के लागू होने से पहले ही कोपर्शनर की मृत्यु हो गई हो. हिंदू महिलाओं को अपने पिता की प्रॉपर्टी में भाई के बराबर हिस्सा मिलेगा. दरअसल साल 2005 में ये कानून बना था कि बेटा और बेटी दोनों को अपने पिता के संपत्ति में समान अधिकार होगा।

 

लेकिन ये साफ नहीं था कि अगर पिता का देहांत 2005 से पहले हुआ तो क्या ये कानून ऐसी फैमिली पर लागू होगा या नहीं. आज जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुआई वाली बेंच ने ये फैसला दिया कि ये कानून हर परस्थिति में लागू होगा। अगर पिता का देहांत कानून बनने से पहले यानी 2005 से पहले हो गया है तो भी बेटी को बेटे के बराबर अधिकार मिलेगा।

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