नई दिल्ली, देशज न्यूज। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा की अदालतों में हिन्दी भाषा को आधिकारिक भाषा बनाने के राज्य सरकार के फैसले की संवैधानिक वैधता को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई करते हुए हरियाणा सरकार और बार काउंसिल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है। चीफ जस्टिस एसए बोब्डे ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये हुई सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया।
सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि अधीनस्थ अदालतों में हमेशा दो भाषाओं में काम होता है। यहां तक कि ब्रिटिश काल में भी दो भाषाओं में काम होता था। कोर्ट ने कहा कि हम नोटिस जारी कर रहे हैं। हम कहना चाहते हैं कि अंग्रेजी का इस्तेमाल कोर्ट की अनुमति से हो सकता है।
चीफ जस्टिस ने कहा कि वकीलों का एक बड़ा वर्ग अंग्रेजी जानता है। यह याचिका पांच वकीलों समीर जैन, संदीप बजाज, अंगद संधू, सुविज्ञा अवस्थी और अनंत गुप्ता ने दायर की है।
याचिका में हरियाणा आफिशियल लैंग्वेज एक्ट की धारा 3ए में किए गए संशोधन का विरोध किया गया है। इस संशोधन के जरिये हरियाणा की अदालतों में केवल हिन्दी ही आधिकारिक भाषा होगी। याचिका में कहा गया है कि अंग्रेजी हमारे देश में सब जगह बोली जाती है। अंग्रेजी भाषा को अधीनस्थ कोर्ट से हटाने की गंभीर परिणाम होंगे।
याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन कर संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 का उल्लंघन किया गया है। इससे हिन्दी और गैर-हिन्दी भाषी वकीलों के बीच एक खाई बनाने की कोशिश की गई है। याचिका में कहा गया है कि यह संशोधन हरियाणा राज्य के लिए उचित नहीं है। हरियाणा औद्योगिक हब है और यहां कई मल्टीनेशनल कंपनियों के दफ्तर हैं।
इस राज्य में कई दूसरे राज्यों के लोग और समाज के सभी वर्गों के लोग रहते हैं। याचिका में कहा गया है कि ये संशोधन यह समझकर किया गया है कि हरियाणा में सभी वकील न केवल हिन्दी जानते हैं बल्कि वे हिन्दी का बेधड़क इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन यह संशोधन वकीलों के लिए काफी समस्या लेकर आया है।