नई दिल्ली, देशज न्यूज। एनडीए लगातार देश भर में सिकुड़ता जा रहा है। पहले शिवसेना उसके बाद अकाली और अब लोजपा के अलग होने से आने वाले दिनों में बीजेपी की मुश्किलें खड़ी हो सकती है। हालांकि बीजेपी के लिये संतोष की बात है कि केंद्र में मोदी सरकार को किसी भी तरह का खतरा का सामना नहीं करना पड़ रहा है। लेकिन एनडीए में ज्यादा से ज्यादा दलों को इकट्ठा रखने से बीजेपी को यूपीए पर मनोवैज्ञानिक तौर पर बढ़त हासिल होती है।
ऐसे में, बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण के मतदान में बमुश्किल चार दिन बचे है। इस बीच राज्य में सियासी घमासान तेज हो गया है। लेकिन बिहार के परिपेक्ष्य में एनडीए गठबंधन पर नजर दौड़ाने पर एक बात तो साफ नजर आ रही है, नुकसान होना तो तय है। यदि नीतीश कुमार की वापसी नहीं होती है तब भी एनडीए का बिखराव स्पष्ट दिख रहा है। ऐसे स्थिति में राज्य में नए समीकरण देखने को मिलें तो आश्चर्य नहीं होगा।
कारण, अगर नीतीश के नेतृ्व में फिर से सरकार बनती है तो चिराग पासवान की एनडीए में एंट्री थोड़े दिनों के लिए ठंडे बस्ते में चला जाएगा। ऐसे स्थिति में बिहार एनडीए में बीजेपी और जदयू ही रहेंगे। कारण, चिराग लगातार नीतीश व जदयू पर हमलावर हैं। नीतीश को जेल भेजने तक की बात कह रहे हैं।
चुनाव परिणाम बाद बिहार में बीजेपी व लोजपा मजबूती से एकसाथ आ सकते है। इसमें नीतीश के एनडीए में बने रहने पर संशय रह सकता है। हालांकि देखा गया है, किसी गठबंधन में दो अलग-अलग विरोेधी दल भी साथ-साथ गठबंधन धर्म निभाते रहते है। लेकिन नीतीश और चिराग में जिस तरह के मनमुटाव रहे है उससे एनडीए में एक साथ रहना फिलहाल मुश्किल ही नजर आ रहा है।