अप्रैल,25,2024
spot_img

भारत को मिला नया मिसाइल सिस्टम, एसएफडीआर का परीक्षण सफल, भारत और रूस ने विकसित की मारक क्षमता 100 से 200 किमी. वाली नई मिसाइल

spot_img
spot_img
spot_img
 भारत और रूस ने विकसित की मारक क्षमता 100 से 200 किमी. वाली नई मिसाइल
– सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट तकनीक से बढ़ाई जा सकेगी मिसाइलों की स्ट्राइक रेंज
 
नई दिल्ली। भारत ने शुक्रवार को सुबह ओडिशा के तट पर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज चांदीपुर से सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट (एसएफडीआर) तकनीक पर आधारित मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। भारत और रूस ने संयुक्त रूप से इस मिसाइल को विकसित किया है, जिसकी मारक क्षमता 100 से 200 किलोमीटर तक है। 
 
परीक्षण के दौरान मिसाइल के ग्राउंड बूस्टर मोटर समेत सभी प्रणालियां उम्मीदों पर खरी उतरीं और उन्होंने बेहतर प्रदर्शन किया। यह तकनीक जमीन से हवा और हवा से हवा में मिसाइलों को बेहतर प्रदर्शन करने और उनकी स्ट्राइक रेंज को बढ़ाने में मदद करेगी। परीक्षण के दौरान नई तकनीकों में सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट भी शामिल है।
 
भारत के रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) का कहना है कि आज सुबह करीब 10.30 बजे ओडिशा के तट पर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज चांदीपुर से किये गए परीक्षण से सॉलिड फ्यूल आधारित डक्टेड रैमजेट प्रौद्योगिकी का सफल प्रदर्शन हुआ है। ग्राउंड बूस्टर मोटर और नोजल-कम मोटर सहित सभी प्रणालियों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन किया। परीक्षण के दौरान ठोस ईंधन आधारित डक्टेड रैमजेट प्रौद्योगिकी सहित कई नई प्रौद्योगिकियां सफल साबित हुईं हैं।
 
अब भारत को एक ऐसी प्रौद्योगिकी मिल गई है, जिससे लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलें विकसित करने में डीआरडीओ और सक्षम होगा। एसएफडीआर एक मिसाइल प्रॉपल्शन बेस्ड सिस्टम है, जिसे वर्तमान में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन विकसित कर रहा है। इस मिसाइल को मुख्य रूप से हैदराबाद में रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशाला द्वारा विकसित किया जा रहा है।
 
डीआरडीओ सूत्रों का कहना है कि इस परियोजना का लक्ष्य भविष्य में लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइलों की महत्वपूर्ण तकनीकों का विकास करना है। इस प्रणाली में थ्रस्ट मॉड्यूलेटेड डक्टेड रॉकेट शामिल है, जिसमें स्मोक नोजल-कम मिसाइल बूस्टर है। इस सिस्टम में थ्रस्ट मॉड्यूलेशन गर्म गैस के प्रवाह पर नियंत्रण पाकर किया जाता है। यह मिसाइल प्रणाली 2.3-2.5 मैक की गति के साथ 8 किलोमीटर की ऊंचाई पर लगभग 120 किलोमीटर तक जा सकती है। इस तरह की एक प्रणोदन प्रणाली काफी हद तक एक मिसाइल की गति और सीमा को बढ़ाती है, क्योंकि इसे ऑक्सीडाइज़र की आवश्यकता नहीं होती है। अपने मौजूदा स्वरूप में सॉलिड फ्यूल आधारित डक्टेड रैमजेट आधारित मिसाइल प्रक्षेपण स्थितियों का अनुकरण करने के लिए पहले उच्च-ऊंचाई तक जाती है। इसके बाद नोजल-कम बूस्टर फायर करके मिसाइल का मार्गदर्शन करता है। मिसाइल बूस्टर को डीआरडीओ स्वतंत्र रूप से विकसित कर रहा है जबकि रैमजेट इंजन को रूसी सहायता से विकसित किया जा रहा है।
 
एसएफडीआर का विकास 2013 में शुरू हुआ और वास्तविक प्रदर्शन शुरू करने के लिए पांच साल की समय सीमा तय की गई। मिसाइल का ग्राउंड आधारित परीक्षण 2017 में शुरू हुआ था। सॉलिड फ्यूल डक्टेड रैमजेट का पहला परीक्षण 30 मई, 2018 को किया गया था। इस परीक्षण के जरिये भारत ने पहली बार नोजल-कम बूस्टर का प्रदर्शन किया। परीक्षण के दौरान मिसाइल रैमजेट इंजन के दूसरे चरण को सक्रिय करने में विफल रही। मिसाइल के रैमजेट इंजन का सफल और दूसरा परीक्षण 8 फरवरी, 2019 को हुआ, जिसमें मिसाइल ने लक्ष्य के मुताबिक वांछित गति से आखिरकार जमीन को छू लिया।भारत को मिला नया मिसाइल सिस्टम, एसएफडीआर का परीक्षण सफल, भारत और रूस ने विकसित की मारक क्षमता 100 से 200 किमी. वाली नई मिसाइल
यह भी पढ़ें:  Darbhanga News| Darbhanga Court News | दरभंगा क्राइम की नई कड़ी... Bihar Industrial Area Development Authority के अधिकारियों पर Criminal Case

ताज़ा खबरें

Editors Note

लेखक या संपादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ संपादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। देशज टाइम्स में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं। देशज टाइम्स टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है। कोई शिकायत, सुझाव या प्रतिक्रिया हो तो कृपया deshajtech2020@gmail.com पर लिखें।

- Advertisement -
- Advertisement -
error: कॉपी नहीं, शेयर करें