बिरौल देशज टाइम्स ब्यूरो। अनुमंडल के उत्तरी हिस्से को छोड़ कर दक्षिणी हिस्से में अवस्थित कोशी, कमला, बलान नदी के जलस्तर में कुछ कमी आने से कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड क्षेत्र के लोगों को थोड़ी सी राहत मिली है।
इससे क्षेत्र के खासकर किसानों को अब मूंग,धान की फसल उपजने की उम्मीदें जगी है। किसानों का कहना है कि अगर इसी तरह जलस्तर में गिरावट आई तो प्रखंड के 10 पंचायत में लगभग हर किसान का सपना कुछ न कुछ पूरा हो जाएगा।
कमला बलान के पूर्वी एवं पश्चमी तटबंध के निर्माण होने से खासकर चार पंचायतों की स्थिति हर वर्ष बाढ़ से नरकीय जैसी बन जाती है। यहां के किसानों को वर्ष में महज एक ही फसल उपज होती है, जो कि मक्का हो या गेंहू। इन चार पंचायत में ईंटहर,उसरी, उजुआ सिमरटोका और तिलकेश्वर शामिल है।
शेष बचे 6 पंचायत में कुशेश्वरस्थान उतरी, कुशेश्वरस्थान दक्षिणी,भिणडुआ, केवटगामा,सुघराईन तथा महिशौत शामिल हैं। दोनों तटबंध के कछार में बसे ईंटहर पंचायत के चौकियांं, लक्षिमिनिया,समौरा, बल्थरबा के लगभग 15 से 20 हजार परिवारों की जिंदगी बाढ़ के लौटने तक भगवान के भरोसे रहते है।
इस दौरान इलाके के लोगो को अगर प्रखंड मुख्यालय आना हो या एक दवा की जरूरत होती है तो नाव के सहारे तटबंध पर आते हैंं फिर यहां से 15 से 20 रुपए भाड़ा देकर टेम्पू से प्रखंड मुख्यालय जा सके।बाइक वाले तटबंध पर ही लगा कर रखते है। आने वाले दिनों मे अगर इन नदियों के जलस्तर में बढ़ोतरी होती है तो प्रखंड के 10 में से सिर्फ कुशेश्वरस्थान उतरी व दक्षणि पंचायत के कुछ गांंव को छोड़ कर लगभग सभी पंचायत बाढ़ के पानी से घिर जाता है ।