उत्तम सेन गुप्ता, देशज टाइम्स बिरौल। बिरौल प्रखंड का यह वह जगह है जहां के लोग पिछले चार वर्षों से इस समस्या से हमेशा के लिए निजात पाने के लिए नगर परिषद का चुनाव जल्द कराने की मांग विभिन्न स्तरों से करते आ रहे हैं। चूंकि सरकार की ओर से पंचायत के मद् में जितनी राशि प्रदान की जाती है उन राशि से इस तरह की (DeshajExclusive: Demand for city council democracy, status with elections, solution) समस्या का निदान व क्षेत्र का विकास की उम्मीद नहीं की जा सकती है।
इस तरह की समस्या अफजला और सुपौल पंचायतों में हमेशा से होती आ रही है। जहां घरों से निकलने वाले पानी का वहाब की समुचित व्यवस्था नहीं है और यह व्यवस्था पंचायत स्तर पर भी संभव नहीं है। भले ही इन दोनों पंचायतों के मुखिया अपने निजी खर्च से इसकी साफ सफाई कर लोगों को तत्काल राहत दिलाने का काम कर (DeshajExclusive: Demand for city council democracy, status with elections, solution) देते हैं लेकिन यह सिलसिला यूं ही कब तक चलेगा।
यही कारण है कि बिरौल को नगर परिषद का दर्जा दिलाने के लिए यहां की जनता चार वर्षों से प्रयासरत हैं। और 2017 मे सफलता मिली भी लेकिन स्थानीय कुछ जनप्रतिनिधि अपना सेल्फ इंटेस्ट के कारण बिरौल को नगर परिषद का विरोध करने पर तूले हुए हैं।
सुपौल पंचायत के मुखिया शत्रुघ्न सहनी ने देशज टाइम्स से कहा कि अब जरूरत है इसे नगर का दर्जा मिलने का बीडीओ जितेंद्र कुमार का कहना है कि प्रखंड के सुपौल और अफजला पंचायत (DeshajExclusive: Demand for city council democracy, status with elections, solution) में जो समस्या है बनी हुई है उसके लिए पंचायतों में किसी तरह का मद् नहीं है। इसका स्थायी समाधान नगर परिषद चुनाव ही संभव है।फोटो। अफजला पंचायत के मुख्य सड़क पर घरों से निकलता पानी।