मार्च,29,2024
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बिहार के एकलौते ओपन जेल, महिला बंदी गृह, केंद्रीय कारा एक साथ…यानी क्षमता से अधिक बोझ उठा रहे बक्सर केन्द्रीय कारा के दिन बहुरेंगे

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बक्सर। बिहार का एकलौता जनपद बक्सर जहां ओपन जेल, महिला बंदी गृह और केन्द्रीय कारा एक साथ कार्यरत है ।बक्सर ओपन जेल के सफल कांसेप्ट को जहा देश के कई राज्यों द्वारा सराहा व अपनाने का जतन किया जा रहा है।वहीं अफ़सोस की बात यह है कि बक्सर केन्द्रीय कारा क्षमता से अधिक बोझ उठाने को बेबस है।

1880 में बने इस जेल की वर्तमान  क्षमता 777 है ,लेकिन वर्तमान में यहां 1232 कैदियों को ठूस -ठूस कर रखा गया है ।करीब 150 साल पूरा कर चुके बक्सर केन्द्रीय कारा के कुछ भवन तो इतने जर्जर हो चुके है कि इन्हें जेल प्रशासन द्वारा बंद कर दिया गया है।इनमे पैगम्बर आश्रम जिसमे कभी छह वार्ड हुआ करते थे जिसे 2012 में बंद किया गया । 2016 में भी विवेका आश्रम और वाल्मीकि आश्रम के दो -दो वार्डो को कैदियों के लिए पूरी तरह बंद कर दिया गया है। इन वार्डों से हटाए गये कैदियों को अब टिननुमा बने हाल में रखा गया है। यहां रखे गये कैदी सर्दियों में ठंढ तो वर्षा के दौरान छतो से रिसते पानी का वहीं गर्मी के दिनों में तपिस सहने के आदि हो गये है।

30 दिसम्बर 2016 की  रात केन्द्रीय कारा बक्सर से पांच कैदियों के फरार होने के बाद राज्य कारा प्रशासन द्वारा जेल की सुरक्षा के लिए अति आवश्यक कार्य एवं भवन निर्माण के लिए दो करोड़ 84 लाख रुपये राशि का आवंटन किया गया।इस मद में कार्य भी हुए एवं एक गोलाकार भवन का निर्माण भी कराया गया जिसका वर्तमान उपयोग कोरोना पोजेटिव बंदियों के लिए किया जा रहा है।

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बक्सर केन्द्रीय करा अधीक्षक रजीव कुमार का कहना है कि जेल की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखकर जेल के भवनों की मरम्मत और नये भवनों के निर्माण के लिए  सरकार को आग्रह पत्र प्रेषित किया गया था ,जिस पर प्रदेश सरकार व राज्य कारा प्रशासन गम्भीरता से विचार कर रहा है।

इस बाबत जिलाधिकारी बक्सर अमन समीर के हवाले से बताया गया है कि केन्द्रीय करा को अब संरक्षित व संवर्धित करने की कवायद शुरू कर दी गई है। जल्द ही जेल परिसर में अवस्थित जीर्ण -शीर्ण तथा अनुपयोगी भवनों को हटा कर उसके जगह सर्व सुविधा सम्पन्न दो मंजिली जेल भवनों का निर्माण किया जाएगा।इस बावत संविदा के लिए तैयारिया की जा रही है।जेल के नव निर्माण में इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि 1880 के बाद जेल में स्वाधीनता आन्दोलन से जुड़े ऐतिहासिक धरोहरों को महफूज रखा जा सके। इसलिए जेल में स्थित कई पुरातन जगहों के साथ किसी प्रकार का छेड़छाड़ नही किया जाएगा।

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