पटना, देशज न्यूज। सड़क हादसे में जख्मी की मदद करने पर पुलिस जबरन गवाह नहीं बना सकती। मदद करने वाले व्यक्तियों को पुलिस और अस्पताल प्रशासन से किसी प्रकार की कोई परेशानी ना हो इसके लिए बिहार सड़क सुरक्षा परिषद गुड सेमिरिटन से संबंधित प्रावधानों को टिन प्लेट बोर्ड पर लिख कर सभी 38 जिलों में विभिन्न मत्वपूर्ण स्थानों पर लगा रही है।
ऐसे स्थानों में सरकारी कार्यालय परिसर और अस्पताल परिसर की मुख्य जगह शामिल हैं। रविवार को इस बात की जानकारी परिवहन सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने दी। उन्होंने कहा कि सड़क दुर्घटना में घायल पीड़ितों को अगर समय पर अस्पताल पहुंचा दिया जाए और समुचित इलाज हो तो उनकी जान बचाई जा सकती है। कई बार लोग थाना और पुलिस के लफड़े के डर से मदद नहीं करते हैं। ऐसे लोगों को डरने की आवश्यकता नहीं है।
घायल पीड़ितों की मदद करने वाले व्यक्तियों (गुड सेमिरिटन) की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय के आदेशानुसार एवं सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दिशा निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि दुर्घटना में घायल व्यक्ति की मदद करने वाले गुड सेमिरिटन (अच्छे मददगार ) से पुलिस पदाधिकारी उनसे नाम, पहचान और पता देने के लिए भी बाध्य नहीं कर सकती है।
यदि कोई गुड सेमिरिटन पुलिस थाने में स्वेच्छा से जाना चाहता है तो उससे बिना किसी अनुचित विलंब के एक तर्कसंगत और समयबद्ध रूप से एक ही बार में पूछताछ की जाएगी। सड़क पर घायल किसी व्यक्ति के बारे में पुलिस को सूचना देने के बाद संबंधित पुलिस पदाधिकारी गुड सेमिरिटन को जाने की अनुमति देंगे और यदि गुड सेमिरिटन उस मामले में गवाह बनने का इच्छुक नहीं होता है तो उससे कोई पूछताछ नहीं की जाएगी ।
इसके साथ ही किसी भी परिस्थिति में जख्मी व्यक्ति को निकटवर्ती सरकारी या निजी अस्पताल में लेकर आने वाले गुड सेमिरिटन से किसी भी तरह के रजिस्ट्रेशन शुल्क या अन्य संबंधित पैसे की मांग नहीं की जाएगी । यह मांग तभी की जा सकती है जब जख्मी व्यक्ति को लाने वाला व्यक्ति उसका संबंधी हो । गुड सेमिरिटन को उनके कार्यों के लिए प्रशासन द्वारा सम्मानित किया जाएगा। जख्मी व्यक्ति का इलाज करना अस्पताल की सर्वोच्च प्राथमिकता है, क्योंकि इलाज में विलंब से जान जा सकती है।