पटना, देशज न्यूज । कोसी नदी का पश्चिमी तटबंध टूटने का खतरा बढ़ गया है। अगर ऐसा हुआ तो फिर से बिहार में बाढ़ की तबाही मच सकती है। इसे लेकर नेपाली मीडिया ने भी एक बड़ा दावा किया है। कांतिपुर अखबार ने दावा किया है कि सप्तकोशी के पहाड़ी क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश से सुनसरी और सप्तरी में कोसी के पश्चिमी तटबंध के टूटने का खतरा बढ़ गया है।
नेपाल के सुनपरी और सप्तरी जिले बिहार की (nepal newspaper kantipur ka dava- Flood in north Bihar) सीमा से लगे हुए हैं। अगर ऐसे में बांध टूटता है तो इसका खामियाजा बिहार को उठाना पड़ेगा। नेपाली मीडिया ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह बांध की मरम्मत में लापरवाही बरत रहा है। कांतिपुर ने कोसी विक्टिम्स सोसाइटी के अध्यक्ष देव नारायण यादव का बयान भी प्रकाशित किया है।
यादव ने कहा है कि बांध टूटने का जोखिम बढ़ गया है (nepal newspaper kantipur ka dava- Flood in north Bihar) क्योंकि बांध के उचित रख-रखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसको लेकर हमने बार-बार कहा है कि कोसी को रेत के तटबंधों के निर्माण से नहीं बचाया जा सकता है। कोसी की रेत को खोदकर पश्चिमी तटबंध का निर्माण किया गया था।
मरम्मत का काम भारत के जिम्मे
सप्तरी के हनुमान नगर कांकालिनी नगर पालिका-14, डालुवा में पश्चिमी तटबंध के टूटने का खतरा बताया जा (nepal newspaper kantipur ka dava- Flood in north Bihar) रहा है। इस जगह पर बांध कमजोर हो गया है।
नेपाल और भारत में हुए कोसी समझौते के अनुसार तटबंध की सुरक्षा और बचाव भारत को करना है। कांतिपुर ने लिखा है कि अगस्त 1963 में दल्लवा में सप्तकोशी बांध के फटने के बाद नेपाल (nepal newspaper kantipur ka dava- Flood in north Bihar) सरकार के नेतृत्व में भारत ने लगभग 5 किमी दूर एक और तटबंध बनाया है, लेकिन भारत की उदासीनता के कारण 57 साल के बाद उसी जगह पर तटबंध टूटने का खतरा बढ़ गया है।
नदी का प्रवाह बदलने से पश्चिमी तटबंध पर दबाव बढ़ा है। (nepal newspaper kantipur ka dava- Flood in north Bihar) बता दें कि वर्ष 2008 में कुसहा बांध के टूटने से बिहार के 18 जिलों में बाढ़ ने तबाही मचाई थी। बाढ़ से करीब 50 लाख लोग प्रभावित हुए थे और 258 लोगों की जान चली गई थी।