मधुबनी, देशज टाइम्स ब्यूरो। नगर थाना चोक अवस्थित विद्यापति पार्क में दिव्यांगजन सशक्तीकरण मंच की एक बैठक दिव्यांगजन समिति के जिला अध्यक्ष फूलबाबू की अध्यक्षता में आयोजित हुई।
बैठक में दिव्यांगजन ने मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय किया। दिव्यांगजनों ने सरकार से सवाल करते कहा, क्या सिर्फ वोट डालना ही दिव्यांगजन का अधिकार है। रोजगार, नियोजन, बाधामुक्त वातावरण, मान-सम्मान, सुरक्षा, आरक्षण, पूर्ण भागीदारी आदि बातें सिर्फ कागजों पर ही सिमट कर रह गई है। कोई दिव्यांगजन किसी सहायता के लिए थाने पर जाता है, तो उससे आवेदन मांगा जाता है।
निरक्षर व नेत्रहीन दिव्यांग आवेदन कैसे लिखकर दे सकेंगे। जिला अधिकारी दूसरी मंजिल पर और पुलिस अधिक्षक तीसरे मंजिल पर अपना कार्यालय रखेंगे तो फिर किस बात का बाधा मुक्त वातावरण। क्या किसी भी विभाग के सरकारी भवन में रैम्प और डॉटेड टाइल्स की व्यवस्था है। बताए जिला उप विकास आयुक्त की कितने दिव्यांगजन को मनरेगा जॉब कार्ड मिला है।
परंतु कितने दिन रोजगार मिला है? एक तरफ सरकार दिव्यांगजन के लिए ऋण देने का दावा करती है। तो वहीं उन्हें गारेंटर के रूप में सरकारी कर्मी चाहिए। क्या कोई सरकारी कर्मी हम बेसहारा दिव्यांगजन का गारेंटर बनेगा। पेंशन योजना में जिंदा दिव्यांगों को मृत घोषित कर दिया गया है। जिला के हजारों दिव्यांगजन का पेंशन कई साल से बंद है। तथा वो प्रखंड कार्यालय से जिला कार्यालय तक चक्कर लगा रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान दिव्यांगजन को 35 किलो अनाज देने का घोषणा की थी। परंतु किसी भी दिव्यांगजन को इसका लाभ नही मिला। अधिनियम में 21 प्रकार के दिव्यांगजन के लिए दिव्यांग प्रमाण पत्र की व्यवस्था है। लेकिन सिर्फ पूर्ण नेत्रहीन और अस्थि दिव्यांगजन का ही प्रमाण पत्र बन पाता है। बांकी को दरभंगा पटना रेफर कर दिया जाता है।
इसका परिणाम यह होता है, 100 प्रतिषत दिव्यांगता वाले दिव्यांगजन भी प्रमाणपत्र के अभाव में सुविधा लेने से वंचित रह जाते हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना में सैकड़ो दिव्यांगजन वंचित हैं। प्रखंड से लेकर राज्य आयुक्त तक को आवेदन किया गया। लेकिन इसका कोई प्रतिफल नही निकला।