अप्रैल,27,2024
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मधुबनी में रैन बसेरा संचालन में नप प्रशासन विफल, चिन्हित स्थानों पर रैन बसेरा का होना था निर्माण,फिरा पानी, दर्जनों गरीब फुटपाथ पर जिंदगी बसर को विवश

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मधुबनी। शहर में बनाए गए रैन बसेरा का संचालन शुरू नहीं हो सका है। भवन निर्माण और उसमें सभी सामानों की खरीदारी के बावजूद इसका लाभ गरीबों को नहीं मिल रहा है। इसकारण गरीब और असहायों को 24 घंटे के लिए मिलने वाली सुविधा देने की कवायद फिसड्डी साबित हो रहा है। गौरतलब है कि काफी मशक्कत के बाद 48 लाख की लागत से रैन बसेरा का निर्माण पूरा हुआ है। तथा इसके लिए अलग से लगभग पांच लाख रूपये के सामनों की खरीदारी की गयी है।

 

 

 

 

बेड,फर्नीचर,चादर, मच्छरदानी व अन्य सामानों को खरीद कर मंगवा लिया गया है। इसके बाद भी यह हर दिन बंद ही रहता है। तथा शहरी निराश्रितों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। वर्तमान में कोरोना संकट और संक्रमण की रफ्तार के दृष्किोण से इसकी उपयोगिता और अधिक बढ़ गयी है। इसके संचालन की जिम्मेवारी शहर में गठित एसएचजी को दिये जाने की तैयारी शुरू हुई पर यह साकार नहीं हो सका है। शहरी आजीविका मिशन के तहत इसका निर्माण कराया गया है। ताकि शहर में आने वाले गरीब एवं असहायों को आश्रय मिल सके। शहरी निराश्रितों को आश्रय देने के लिए इसकी व्यवस्था की गयी है।

 

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इनके लिए यहां पर टीवी और अन्य जरूरी साधनों की व्यवस्था की गयी है। प्रारंभ में 50 लोगों को यहां पर रहने की व्यवस्था की गयी है। महिला व पुरुषों के लिए अलग-अलग व्यवस्था की गयी है। ग्राउंड फ्लोर पर मेस, फर्स्ट फ्लोर पर पुरुष व सेकेंड फ्लोर पर महिला के रहने के लिए व्यवस्था की गयी है। इसमें ठहरने वाले लोगों को अधिक से अधिक तीन दिन तक रहने दिया जाएगा। वहीं इसके लिए रहने वाले को अपना एक पहचान व आवासीय प्रूफ देना होगा।

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भटकने को विवश हैं असहाय-

शहर में स्टेशन,बस स्टैंड एवं अस्पताल में जिले और बाहर से आए निराश्रित भटकने को विवश हैं। शहर में बड़ी संख्या में सब्जी विक्रेता किसान और अन्य फुटकर कारोबारी जिले के विभिन्न भागों से पहुंचते हैं। जिला फुटकर विक्रेता संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र प्रसाद ने बताया कि यहां पर हर दिन रात में ऐसे महिला और पुरुष पहंुचते हैं। जो किसी तरह से रात गुजारते हैं। इसीतरह अस्पताल में भी काफी संख्या में गरीब लोग पहुंचते हैं। ये सभी प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी शहर में भटकते हैं।

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आश्रय बनाने की योजना विफल-

शहर में अन्य स्थानों पर आश्रय बनाने की योजना भी साकार नहीं हो सका है। हास्पीटल के पास, स्टेशन या फिर बस स्टैंड के पास भी इसतरह के आश्रय स्थल निर्माण की योजना की स्वीकृति विभाग से मिली थी। पर इस दिशा में ठोस और कारगर पहल नहीं हो सका है।

 

 

क्या कहते हैं ईओ-

कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष आनंद चोधरी ने बताया कि शरही आजीविका मिशन के सिटी मिशन मैनेजर को इसका संचालन शीघ्र करने का आदेश दिया गया है। ताकि इसका लाभ निराश्रितों को मिल सके।

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