मधुबनी, देशज टाइम्स ब्यूरो। जिले को यक्ष्मा मुक्त बनाने के लिए स्थानीय होटल के सभागार में एनटीईपी(नेशनल ट्यूबक्यूलोसिस एलिमेशन कार्यक्रम) को लेकर निजी चिकित्सकों के साथ एक बैठक आयोजित की गयी। यह बैठक क्लिंटन हेल्थ एक्सेस इनीसिएटिव (सीएचएआई) संस्था एवं वर्ल्ड विजन इंडिया के संयुक्त तत्वधान आयोजित की गयी। बिहार सरकार के साथ दोनों संस्था मिलकर वर्ष 2025 तक यक्ष्मा रोग उन्मूलन हेतु कार्य कर रही है।
इस बैठक में मुख्य रूप से निजी चिकित्सकों को यक्ष्मा रोग की पहचान करना तथा सरकार द्वारा दी जाने वाली सहायता जैसे सीबीनेट,निक्षय पोषण राशि के बारे में जानकारी दी गई।
बैठक का मुख्य उद्देश्य यक्ष्मा रोग के बारे में पूर्ण जानकारी देना,वर्ल्ड विजन इंडिया के कार्यकर्ताओं को यक्ष्मा नोटिफिकेशन प्रदान करना एवं सामुदायिक स्तर पर रोगी को दवा का कोर्स उपलब्ध के लिए प्रेरित और सहयोग प्रदान करना है। बैठक की अध्यक्षता संचारी रोग एवं यक्ष्मा नियंत्रण के डॉ. आर. के सिंह ने की। वर्ल्ड विजन इंडिया के ऑपरेशन मैनेजर संजय चैहान ने दवा की मांग,उपलब्धता ऑनलाइन के माध्यम से ही करने के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी दी। प्रशिक्षण के दौरान जिले में टीबी मरीजों के खोजबीन के साथ ही उन्हें समय पर दवा उपलब्ध कराने को कहा गया।
टीवी मरीजों की पहचान होते ही गृह भ्रमण करें-
सीडीओ डॉ आरके सिंह ने कहा कि यक्ष्मा रोग एक जटिल रोग है। इसे जल्द से जल्द पहचान कर इलाज शुरु किया जाना चाहिए,ताकि दूसरों व्यक्तियों में यह संक्रमित बीमारी न पहुंचे। वहीं बैठक के दौरान सभी एसटीएस को यह भी निर्देश दिया कि यक्ष्मा रोग की पहचान होते ही एसटीएस उसके घर का भ्रमण जरूर करें। गृह भ्रमण के दौरान छह वर्ष तक की उम्र के बच्चों को जेएनएच की गोली देना सुनिश्चित करें। वहीं अगर गृह भ्रमण के दौरान उनके घर के किसी व्यक्ति में भी टीबी के लक्षण पाए जाते हैं तो शीघ्र ही उनके बलगम जांच की व्यवस्था सुनिश्चित की जाय।
एमडीआर-टीबी से रहें सतर्क-
एमडीआर-टीबी होने पर सामान्य टीबी की कई दवाएं एक साथ प्रतिरोधी हो जाती हैं। टीबी की दवाओं का सही से कोर्स नहीं करने एवं बिना चिकित्सक की सलाह पर टीबी की दवाएं खाने से ही सामान्यता एमडीआर-टीबी होने की संभावना बढ़ जाती है। टीबी के मरीजों को उचित खुराक उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से निक्षय पोषण योजना चलायी गयी है। जिसमें टीबी के मरीजों को उचित पोषण के लिए 500 रुपये प्रत्येक महीने दिए जाते हैं। यह राशि उनके खाते में सीधे पहुंचती है। सरकार की मंशा है कि टीबी के मरीजों में 2025 तक 90 प्रतिशत की कमी लायी जा सके।