बेनीपट्टी। स्थानीय अनुमंडल मुख्यालय होते हुए भी विकास से कोसों दूर है। बेनीपट्टी बाजार में नाला का निर्माण का मसला हो या बस पड़ाव का। किसी भी ज्वलंत समस्याओं के निदान के लिए अधिकारी से लेकर जनप्रतिनिधि ठोस पहल तो दूर आवाज तक नहीं उठा सके। है। बेनीपट्टी के बाजार स्थिति इतनी खराब है कि बेनीपट्टी के सबसे महत्वपूर्ण लोहिया चैक पर हाईमास्ट लाईट तक नहीं लगाई गयी,जबकि उक्त लाईट की मांग को लेकर कई बार धरना-प्रदर्शन तक हो चुका है। नाला के अभाव में होटल व्यवसायी एवं स्थानीय लोग अपने घरों का गंदा पानी सड़कों पर बहाने को मजबूर है।
बस पड़ाव का मामला अब लटका-
बेनीपट्टी को करीब 38 वर्ष पूर्व अनुमंडल का दर्जा मिला। अनुमंडल का दर्जा प्राप्त किए जाने के वर्षो बाद भी स्थानीय लोग एक अदद बस पड़ाव के लिए तरस रहे है। बस पड़ाव नहीं होने से स्थानीय लोगों को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इन 38 वर्षो के अंदर कई माननीय जीत कर सदन पहुंचे,परंतू किसी ने बेनीपट्टी में बस पड़ाव की समस्या को खत्म कराने की पहल नहीं की। जबकि,ये अनुमंडल इंडो-नेपाल के बाॅर्डर के समीप है। बेनीपट्टी के स्टेट हाईवे पर बेनीपट्टी का अस्थाई बस पड़ाव बना हुआ है। जो अपने आप में विडंबना है।
स्टेट हाईवे के किनारे नहीं बना नाला-
बेनीपट्टी बाजार में बस पड़ाव के बाद सबसे बड़ी समस्या नाला का निर्माण नहीं होना है। नाला का निर्माण नहीं होने से बारिश के मौसम में पूरा बाजार नारकीय हो जाता है। जिससे दुकानदारों का कारोबार भी प्रभावित हो जाता है। पूर्व मंत्री सह एमएलए विनोद नारायण झा ने अपने विधायकी कार्यकाल के दौरान अनुमंडल कार्यालय से संसारी चोक तक नाला के निर्माण की शुरुआत की थी। परंतु, कतिपय कारणों ने नाला अधूरा ही रह गया। अधूरे नाला को भी स्थानीय दुकानदारों ने कचरा फेंक कर नाला का बंद कर दिया। सूत्रों की माने तो उक्त योजना बाजार के अतिक्रमण के समस्या के कारण सफल नहीं हो पाया।