अप्रैल,25,2024
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मंगल पांडेय ने कहा, कोरोनाकाल में गायब नेता प्रतिपक्ष अब बन रहे बयानवीर, कहा, तेजस्वी जी बिहार को नीचे से तीसरे और चौथे पायदान पर देखना चाहते

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पटना। वरिष्ठ भाजपा नेता एवं प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा कि विगत 11 महीनों में बिहार के चिकित्सकों एवं चिकित्साकर्मियों ने अथक परिश्रम और प्रयास से बिहार में कोरोना के संक्रमण को रोकने में काफी हद तक सफलता प्राप्त की गई है। इस काम को करते समय चिकित्सकों एवं चिकित्साकर्मियों ने अपनी एवं परिजनों की भी जान की परवाह नहीं की। कोरोनाकाल में लगभग 37 चिकित्सकों एवं चिकित्साकर्मियों ने अपनी जान गंवाई। स्वास्थ्य मंत्री के नाते स्वयं मैं और मेरे वरीय अधिकारी अस्पताल-अस्पताल घूम-घूम कर कोरोना मरीजों के स्वास्थ्य की चिंता की। उस वक्त नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव पूरे सीन से गायब थे। बीच-बीच में भी गलत तथ्यों पर आधारित बयान देते रहे। उन्हें कोरोना मरीजों की चिंता थी या उसमें किसी प्रकार की शिकायत की आशंका थी, तो नेता प्रतिपक्ष को भ्रमण करने में क्या परेशानी थी।

उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष चिकित्सकों एवं चिकित्साकर्मियों के मनोबल को तोड़ने का प्रयास शुरूआती दिनों से करते रहे हैं। चूंकि उन्हें बिहार में कोरोना की जांच, इलाज, दवाई और प्रबंधन में बेहतर व्यवस्था पच नहीं रही थी, जिसके कारण कोरोना के प्रारंभकाल से ही बिहार में मृत्यु दर पूरे देश की तुलना में काफी कम 0.55 फीसदी के करीब रहा। साथ ही रिकवरी रेट हमेशा देश में सर्वाधिक के करीब रहा। इस प्रकार से बिहार का बनती हुई छवि और बेहतर प्रदर्शन नेता प्रतिपक्ष को कभी पचा नहीं। चूंकि उनकी पार्टी के शासन काल में बिहार हमेशा नीचे से दूसरे-तीसरे पायदान पर रहता था और अब न केबल जांच, बल्कि इलाज, दवा, बेहतर प्रबंधन और अधिकतम रिकवरी रेट (99.18 फीसदी), कम मृत्यु दर और कोरोना टीकाकरण में राज्य का प्रथम स्थान पर बने रहना नेता प्रतिपक्ष को अपच किये हुआ है। ये हमेशा बिहार को नीचे से तीसरे और चैथे पायदान पर देखना चाहते हैं।

स्वास्थ्य मंत्री पांडेय ने कहा कि कोरोना जांच के संबंध में हुई डाटा इंट्री की गड़बड़ी की जानकारी जैसे ही प्राप्त हुई, विभाग ने उसी दिन मुख्यालय स्तर से 10 टीम बनाकर एवं राज्य के सभी 38 जिलों में जिला प्रशासन से बात कर जांच के आदेश के साथ त्वरित कार्रवाई की गई। जमुई जिले में कार्रवाई करते हुए 7 लोगों को निलंबित एवं सेवा से बर्खास्त किया गया है। अन्य जिलों में भी जिलाधिकारियों के माध्यम से निरंतर जांच करायी जा रही है। अररिया एवं शिवहर से मिली गड़बड़ी की जांच की जा रही है। नेता प्रतिपक्ष को संपूर्ण चिकित्सकों एवं चिकित्साकर्मियों पर आरोप लगाने के बदले उनकी प्रशंसा करनी चाहिए। यदि किसी चिकित्सक एवं चिकित्साकर्मी ने गलती की है, तो उसे दंडित किया जा रहा है। आगे भी किसी की गलती सामने आयेगी तो उसे भी दंडित किया जायेगा। यह बहुत साफ है कि अगर किसी न गलती की है, तो उसे सजा मिलेगी, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि सभी चिकित्सकों एवं चिकित्साकर्मियों ने कार्य में कोताही की। कोविड-19 संकमण के दौरान असामान्य एवं आपातकालीन परिस्थितियों के दौरान अपनी जान एवं परिजनों की परवाह किये बिना कर्तव्य के निर्वहन के लिए चिकित्सक व चिकित्साकर्मी साधुवाद के पात्र हैं।

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पांडेय ने कहा कि जहां तक कोविड-19 की जांच का प्रश्न है। प्रारंभिक समय में बिहार में आरटीपीसीआर कोरोना जांच की क्षमता नहीं थी। सर्वप्रथम मार्च 2020 में आरएमआरआई, पटना में जांच का काम शुरू हुआ। इसके बाद निरंतर प्रयास कर सभी मेडिकल कॉलेजों में आरटीपीसीआर लैब व जांच की व्यवस्था हुई, जिसके आलोक में आरटीपीसीआर की क्षमता पुल टेस्टिंग के साथ 20 हजार प्रतिदिन की हो गई। आरटीपीसीआर के अलावा प्रत्येक जिले में भी ट्रू नेट मशीन के जरिये जांच की व्यवस्था की गई है। दोनों प्रकार से जुलाई 2020 तक लगभग 4 हजार कोविड जांच कर पा रह थे। 12 करोड़ की आबादी वाले बिहार राज्य में संक्रमित व्यक्तियों की पहचान कर उन्हें आइसोलेट करने के लिए इससे अधिक जांच की आवश्यकता थी। इस बीच आईसीएमआर द्वारा रैपिड एंटीजेन किट के जरिये जांच की मान्यता दी गई। यह जांच अपेक्षाकृत ज्यादा सरल तरीके से हो सकता है और परिणाम भी तत्क्षण मिलता है। इस प्रकार अधिकाधिक लोगों की जांच व संक्रमित लोगों की पहचान कर आमजन से आइेसोलेट करने के लिए आईसीएमआर के दिशा-निर्देश का अनुपालन करते हुए राज्य में रैपिड एंटीजेन किट से जांच का निर्णय लिया गया। रैपिड एंटीजेन किट से जांच की व्यवस्था मुख्यतः तीन स्थानों पर थी, जिसमें स्वास्थ्य संस्थान, कंटेनमेंट जोन (प्रत्येक घर) एवं बाढ़ आपदा राहत शिविर शामिल था। साथ ही दशहरा, दीपावली और छठ जैसे महत्वपूर्ण त्योहारों के अवसर पर संक्रमण के चेन को तेाड़ने के लिए बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन और सब्जी मंडी में जांच की विशेष व्यवस्था की गई। रैपिड एंटीजेन किट से जांच मांग आधारित (डिमांड बेस्ड) थी। अर्थात जो भी व्यक्ति जांच कराना चाहता था, जांच करायी जाती थी। देश के अधिकांश राज्यों की तरह बिहार में भी आरटीपीसीआर की तुलना में रैपिड एंटीजेन किट से ज्यादा जांच करायी गई। कोविड- 19 से संबंधित (एंटीजेन किट सहित) की पूरी सूचना बिहार मेडिकल सर्विसेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर कॉरपोरेशन लिमिटेड के वेबसाइट पर उपलब्ध है, जो विभाग के पारदर्शिता को स्पष्ट करता है।

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