दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। बिहार की सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित करने के लिए बड़े स्तर पर जागरूकता कार्यक्रम चलाया जाएगा तथा गंगा नदी के किनारे अवस्थित सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक धरोहर तथा धरोहर भवनों का डकूमेंटेशन कार्य दि इन्डियन नेशनल ट्रस्ट फार आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज (इन्टैक) की ओर से कराया (Site laboratory will be made for conservation of cultural heritage in Darbhanga, buildings will be documented) जाएगा।
यह बात इन्टैक के राष्ट्रीय अध्यक्ष मेजर जनरल एल पी गुप्ता ने इन्टैक के बिहार के विभिन्न चैप्टरों के कन्वेनरों को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से संबोधित करते हुए कही। मेजर गुप्ता ने दरभंगा में सांस्कृतिक धरोहरों के संरक्षण के लिए एक साइट लेबोरेटरी बनाने के लिए भी सहमति प्रदान की।
मेजर गुप्ता ने बिहार के सभी चैप्टरों के संयोजकों को निर्देशित किया कि जिलाधिकारियों को चैप्टर का संरक्षक बनाकर जागरूकता अभियान से जुड़ने का आग्रह किया जाए, जिससे इस अभियान को जमीन पर उतारने में सुविधा होगी। मेजर गुप्ता ने बिहार की प्राचीन लिपि मिथिलाक्षर एवं कैथी के संरक्षण एवं विकास के लिए प्रशिक्षण शिविर (Site laboratory will be made for conservation of cultural heritage in Darbhanga, buildings will be documented) आयोजित करने के लिए भी सहायता प्रदान करने का आश्वासन के साथ ही बिहार के विभिन्न स्थानों पर बिखरे हुए प्राचीन मूर्तियों की सूचीबद्ध कराने पर भी बल दिया।
बिहार चैप्टर के संयोजक एवं भारतीय बन सेवा के अवकाश प्राप्त अधिकारी श्री प्रेम शरण ने बिहार के धरोहरों के संरक्षण के निमित्त अनेक चैप्टरों को स्थापित करने तथा उनके द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों का लेखा जोखा प्रस्तुत किया गया। (Site laboratory will be made for conservation of cultural heritage in Darbhanga, buildings will be documented) महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह संग्रहालय, दरभंगा के संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्र ने मिथिला की प्राचीन मूर्तियों की सूचीकरण, मिथिलाक्षर एवं कैथी लिपि के प्रशिक्षण के लिए दरभंगा, पटना, सीतामढी, पूर्णिया, बेतिया एवं मोतिहारी में प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के लिए इन्टैक चेयरमैन से आग्रह किया।
डॉ. मिश्र ने दरभंगा के दोनों विश्वविद्यालय एवं मिथिला शोध संस्थान की पांडुलिपियों को संरक्षित एवं डिजिटाइजेशन के लिए मिथिला विश्वविद्यालय परिसर में एक कंजर्वेशन लैब स्थापित करने का भी आग्रह किया। इसके साथ ही गांधी जी से जुड़े हुए हेरीटेज स्थलों को सूचीबद्ध कराने की मांग की। डॉ. मिश्र ने आमलोगों को अपने धरोहर से जोड़ने के लिए (Site laboratory will be made for conservation of cultural heritage in Darbhanga, buildings will be documented) जिलाधिकारी से मदद लेने की आवश्यकता पर बल दिया।
बिहार विधान परिषद के परियोजना पदाधिकारी एवं इन्टैक पटना चैप्टर के सदस्य भैरव लाल दास ने बिहार के प्रशासनिक एवं पुलिस अधिकारियों को धरोहर के विषय में जागरुक करने के लिए प्रशिक्षण देने की आवश्यकता पर बल दिया तथा अध्यक्ष से आग्रह किया कि बिहार के मुख्य सचिव से इस विषय पर विमर्श किया जाए।
दरभंगा चैप्टर के संयोजक प्रोफेसर एन के अग्रवाल ने दरभंगा चैप्टर की ओर से कैथी लिपि एवं मिथिलाक्षर के संरक्षण के लिए अनेक कार्यक्रमों , स्वतंत्रता सेनानियों के विषय में सेमिनार, बाढ एवं जलजीवन (Site laboratory will be made for conservation of cultural heritage in Darbhanga, buildings will be documented)समस्याओं पर सेमिनार , बच्चों एवं आमलोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए किये जा रहे अनेक कार्यक्रमों के विषय में विस्तार से चर्चा की। जल संरक्षण , पर्यावरण संरक्षण, लोककला संरक्षण की आवश्यकता के लिये जन जागरण अभियान चलाये जाने की आवश्यकता जताई।
डॉ अग्रवाल ने बताया कि प्रशासन के सहयोग से लगातार कार्यक्रम किये जायेंगे। पूर्णिया चैप्टर के संयोजक राजेश चंद्र मिश्र ने अपने चैप्टर की ओर से किए गए कार्यो व प्रोफेसर रत्नेश्वर मिश्र की ओर से पूर्णिया के (Site laboratory will be made for conservation of cultural heritage in Darbhanga, buildings will be documented) इतिहास एवं धरोहर के विषय में प्रस्तुत व्याख्यान का उल्लेख किया। पटना चैप्टर के संयोजक जे के लाल, बेतिया चैप्टर के अरुण कुमार श्रीवास्तव, भागलपुर के विभू कुमार राय, वैशाली के राम नरेश राय ने भी अपने चैप्टर द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम को प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संयोजन इन्टैक के सचिव वी सी श्रीवास्तव ने किया।