दरभंगा, देशज टाइम्स। कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के 41वे कुलपति के रूप में अपने योगदान के समय रविवार सुबह डॉ. शशिनाथ झा ने सब का साथ,सब का विकास के मूल मंत्र को दोहराते कहा, छात्रों व कर्मियों की मूल समस्याओं का समाधान ही उनकी प्राथमिकता सूची में रहेगा।
उन्होंने यहीं पढ़ा-लिखा व ईमानदारी से स्नातकोत्तर विभाग में अध्यापन कार्य भी किया। हमेशा विवाद से दूर रहने की कोशिश की। शायद यही कारण रहा, आज उन्हें कुलपति का भी दायित्व संभालने का सौभाग्य मिला है।
संस्कृत में ही दिए अपने उदबोधन में व्याकरण समेत कई विषयों के विद्वान कुलपति डॉ. झा ने कहा, इस विश्वविद्यालय के लिए वे नए नहीं हैं। स्वाभाविक है कि इस कारण वे यहां की हर समस्याओं से अवगत हैं। यहां के सभी कर्मियों व पदाधिकारियों से भी वे पूर्व से ही परिचित हैं। इसलिए उन्हें भरोसा है कि सभी का साथ जरूर मिलेगा और मिलजुलकर सभी परेशानियों को दूर कर लिया जाएगा । जाहिर है ऐसे में विश्वविद्यालय का विकास होकर रहेगा।
उन्होंने कहा कि अपने लंबे सेवाकाल में कई विद्वान कुलपतियों के साथ विभिन्न प्रशासनिक पदों पर कार्य करने का अवसर मिला है। वे उम्मीद करते हैं कि तब के अनुभव का उन्हें लाभ अवश्य मिलेगा। साथ ही उन्होंने संस्कृत के मुख्य ग्रन्थों व विश्वविद्यालय की पत्रिका ‘ विश्व मनीषा ‘ को पुनः नए कलेवर में प्रकाशित कराने का भरोसा दिया।
जानकारी देते हुए उपकुलसचिव-1 सह पीआरओ निशिकांत ने बताया, डॉ. झा पिछले साल ही यहीं के व्याकरण विभाग से सेवानिवृत्त हुए हैं। दर्जन भर से अधिक पुस्तकों का लेखन व करीब सौ से अधिक पुस्तकों व ग्रन्थों का सम्पादन कर चुके डॉ झा संस्कृत,कैथी, मैथिली समेत अन्य भाषाओं के मर्मज्ञ हैं। साहित्य अकादमी समेत कई संस्थाओं से सम्मानित डॉ झा पांडुलिपि व मिथिलाक्षर के भी विशेषज्ञ हैं।(sanskrit university vc)
पूरे उत्सवी माहौल में मंत्रोच्चार के बीच कुलसचिव डॉ शिवा रंजन चतुर्वेदी ने कुलपति की नियुक्ति सम्बन्धी विभागीय औपचारिकताओं को निभाया। इसके पूर्व नवनियुक्त कुलपति डॉ झा ने महाराजाधिराज लक्ष्मीश्वर सिंह व कामेश्वर सिंह की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण भी किया।(sanskrit university vc)
वहीं, उनके योगदान के मौके पर डॉ. लक्ष्मीनाथ झा, प्रो. शिवकांत झा, प्रो. श्रीपति त्रिपाठी, प्रो. सुरेश्वर झा, एफए कैलाश राम, एफओ रतन कुमार, डॉ. विद्येश्वर झा, डॉ. हरेंद्र किशोर झा, डॉ. दयानाथ झा, डॉ. पवन कुमार झा, डॉ. दिलीप कुमार झा, डॉ. अवधेश कुमार, डॉ. शैलेन्द्र मोहन झा, तेज नारायण झा, नरोत्तम मिश्रा समेत विश्वविद्यालय के कई पदाधिकारी व कर्मी के अलावा समाज के अन्य बुद्धिजीवी भी मौजूद थे।(sanskrit university vc)