दरभंगा, देशज न्यूज। डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम के प्रयास से बिहारशरीफ, नालंदा से गम्बूजिया मछली का बीस हजार स्पॉन दरभंगा लाया गया है। मच्छर के लार्वा को खाने वाली यह मछली मच्छर को पनपने नहीं देती है।
बिहारशरीफ में इसका सफल प्रयोग रहा है। वहां संबंधित इलाकों में मच्छर में 90 परसेंट की कमी आयी है। अपने कार्यकाल के दौरान बिहारशरीफ में डॉ. त्यागराजन एस एम ने वहां इस मछली को पश्चिम बंगाल से मंगवा कर शहर के कई तालाब में डलवाया था, जिसका सकारात्मक असर रहा।(nakanda se farbhanga aaya)
बिहारशरीफ नगर निगम के पूर्व उप महापौर शंकर कुमार, पार्षद संजय कुमार, संतोष कुमार के अनुसार इस मछली पालन से आस पास के संबंधित इलाके में मच्छरों में नब्बे प्रतिशत की कमी आयी है। इनलोगों ने बताया, डॉ. एस एम ने यहां नगर आयुक्त रहते इस मछली पालन की योजना बनाई थी।
संजोगवश वे जब यहां के जिलाधिकारी भी बने तो इसी दरम्यान बिहारशरीफ नगर निगम बोर्ड ने प्रस्ताव पास कर शहर के सभी तालाब में इसके स्पॉन को डलवाया। जिस तालाब में कुम्भी नही है वहां, ये मछली स्वतः प्रजनन से बढ़ रही है और मच्छर उन्मूलन में बड़ी सहायक है।
दरभंगा में प्रथम चरण में रविवार को वार्ड 21 की पार्षद मधुबाला सिन्हा ने नगर निगम से सटे हरीबोल तालाब व लाल पोखर तालाब में गम्बूजिया मछली के स्पॉन को डाली। इसके अलावा प्रयोग के तौर पर लहेरियासराय के एक तालाब में भी इसे डलवाया गया है।(nakanda se farbhanga aaya)
यह मछली पश्चिम बंगाल से मंगवाकर 2018 में मोहनपुर हेचरी, नालंदा ने इसकी प्रजाति बढ़ाई और सर्वप्रथम बिहारशरीफ नगर निगम को 2019 में दिया। इस मछली को सभी मछली के साथ पाला जा सकता है। इसे एक मछली बोआरी छोड़ दुसरीं मछली नही खाती और ये मछली दुसरीं मछली को नुकसान भी नही पहुंचाती है।(nakanda se farbhanga aaya)
आमतौर पर इस मछली को इंसान नही खाता है ,जिस कारण इसका बाज़ारीकरण नही है और इसकी बिक्री नही होने के कारण हेचरी भी इसका विस्तार नही करता है। हेचरी के निदेशक शिवजी के अनुसार अगर इंसान इसे खा भी ले तो कोई हानि नहीं है।(nakanda se farbhanga aaya)
अभी निजी स्तर पर पार्षद मधुबाला सिन्हा अपने वार्ड के तालाब हेतु इसे दरभंगा लायी हैं। सबकुछ सकारात्मक रहा तो दरभंगा शहर के अन्य तालाब में भी इसे डालने की योजना बन सकती है और बिहारशरीफ के बाद दरभंगा मच्छर उन्मूलन की दिशा में दूसरे नंबर पर आ सकता है।