बिरौल देशज टाइम्स ब्यूरो। मिथिला की आन-बान और शान है मखाना। मिथिला की पहचान है मखाना। इस बात को आज प्रमाण भी मिल गया है। कारण, मिथिला मखाना (mithila makhana) के नाम से ही जीआई टैगिंग हो इस बात पर बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर, भागलपुर ने अपनी सहमति प्रदान कर दी है। इससे संपूर्ण मिथिलांचल में खुशी है।
जानकारी के अनुसार, मिथिला की मान-मर्यादा से खिलवाड़ करने का सरकार पर लगातार आरोप लगते रहें। विपक्ष इस मुद्दे पर लगातार नीतीश सरकार पर हमलावर रहा। कहा गया, दरअसल नीतीश सरकार की नीयत में ही खोट है। मिथिला के नाम से बैंक हो ये बात नीतीश कुमार को बर्दाश्त नहीं था। मिथिला व मैथिली से ही नीतीश कुमार को नफरत है। यही वजह है, मखाना जिसके बारे में दुनिया जानती है इसकी खेती सिर्फ व सिर्फ मिथिला क्षेत्र में होती रही है उसकी जीआई टैगिंग बिहार के नाम पर करने की साजिश रच दी गई।
नीतीश पर हमलावरों का कहना था, जब सिलाब का खाजा हो सकता है, मगही पान हो सकता है, भागलपुर का सिल्क हो सकता है तब मखाना मिथिला का क्यों नहीं हो सकता है। जीआई टैगिंग का अर्थ ही यही होता है, जिस भौगोलिक क्षेत्र में जिस चीज का उत्पादन सबसे ज्यादा हो रहा हो उसके नाम से उस वस्तु की पहचान स्थापित हो। मखाना की जीआई टैगिंग मिथिला (mithila makhana) के नाम पर हो यही यहां के लोग चाहते थे। मखाना को मिथिला मखाना के नाम पर जीआई टैगिंग के लिए मिथिलावासियों ने मुहिम चलाया।
इस मुहिम की शुरूआत करने वाले राजद के कार्यकर्ता व गौड़ाबौराम के संभावित आरजेडी प्रत्याशी संजय सिंह “पप्पू” सिंह ने इस बारे में पूछने पर कहा, सरकार शुरूआत से ही मिथिला के साथ छल करते आ रही है। राजद ने शुरू से ही इसका विरोध किया। कहा, अभी तो डबल इंजन की सरकार है, और यहां जदयू भाजपा के सांसद व मंत्रीगण इस मुद्दे पर मुंह में दही जमाकर बैठे रहे।
श्री सिंह ने कहा, अभी हमारी लड़ाई जारी रहेगी। प्राथमिक शिक्षा में मैथिली को स्थान दिलवाना भी हमारा लक्ष्य है, ये कितने दुर्भाग्य की बात है कि मिथिला में मैथिली की पढ़ाई नहीं होती है, लेकिन बांग्ला विषय की होती है। हम बांग्ला या अन्य किसी भाषा का विरोध नहीं करते हैं लेकिन मैथिली हमारी मातृभाषा है और उसको सम्मान नहीं मिले तो अंतरात्मा रोती है। मिथिला व मैथिली (mithila makhana) के विकास के लिए हम समर्पित हैं। हम अपनी लड़ाई को अंजाम तक पहुंचा कर ही मानेंगे।
श्री सिंह ने मखाना मुहिम में साथ देने के लिए रजनीकांत पाठक, अनूप मैथिल, आदित्य मैथिल, एमएसयू के समेत लाखों-करोड़ों मिथिलावासियों को बधाई देते कहा, हमने आखिरकार सफलता हासिल की। बिहार सरकार के कुचक्रो का पर्दाफाश हुआ।मिथिला के साथ कैसे भेदभाव बरता जा रहा है। (mithila makhana)