दरभंगा,देशज टाइम्स ब्यूरो। जल, वायु, भूमि तीनों से संबंधित कारक तथा मानव,पौधा, सूक्ष्मजीव व अन्य जीवित पदार्थ आदि पर्यावरण के तहत आते हैं। जीवन की रक्षा के लिए इनका संरक्षण अतिआवश्यक है। इसके असंतुलन का प्रभाव हमसभी देख रहे हैं। इसे बचाकर ही सफल जीवन की कामना की जा सकती है। यह बात शुक्रवार को विश्व पर्यावरण दिवस व कबीर जयंती के अवसर पर ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा के स्नातकोत्तर गणित विभाग के विभागाध्यक्ष सह लोक सूचना पदाधिकारी व इंटेक, दरभंगा चैप्टर के संयोजक प्रो. नवीन कुमार अग्रवाल ने कही।
विश्व पर्यावरण दिवस , पर्यावरण के लिए दुनिया भर में जागरूकता व कार्रवाई को प्रोत्साहित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की ओर से मनाया जाता है। 1974 से प्रतिवर्ष आयोजित होने वाला यह दिवस सतत विकास लक्ष्यों के पर्यावरणीय आयामों पर प्रगति को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) के साथ, प्रत्येक वर्ष 150 से अधिक देश भाग लेते हैं।
प्रो.अग्रवाल ने कहा, दुनिया भर के प्रमुख निगमों, गैर-सरकारी संगठनों, समुदायों, सरकारों और मशहूर हस्तियों ने विश्व पर्यावरण दिवस ब्रांड को चैंपियन पर्यावरणीय कारणों के लिए अपनाया है। पर्यावरण की समस्या के समाधान के लिए 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम में पर्यावरण सम्मेलन कर पहली बार पर्यावरण संरक्षण के लिए आवश्यक विचार किया गया।
इसमें 119 देशों ने भाग लिया। संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) का जन्म हुआ। पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 19 नवंबर,1986 को लागू किया गया। इसमें पर्यावरण प्रदूषण के निवारण, नियंत्रण व इसके गुणवत्ता के मानक निर्धारित किए गए।
कोरोना वायरस महामारी व उसके परिणामस्वरूप तालाबंदी से पर्यावरण को थोड़ा फायदा हुआ। लेकिन कोरोना वायरस से मनुष्य को जितना नुकसान हुआ उसकी भी परिकल्पना नही की जा सकती। यह आवश्यक है, हम अपने सामान्य जनजीवन में भी प्रकृति की रक्षा का संकल्प लें, न कि किसी वैश्विक महामारी के कारण प्रकृति के थोड़ा संतुलित होने से ज्यादा उत्साहित हो।
कहा, जबतक हम अपनी आदतों में सुधार नही लाएंगे तबतक हम पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सफल नही होंगे। अन्य बातों के अलावा, यह मानवीय गतिविधियों की निरंतर चंचलता के अभाव में खुद को थोड़ा सांस लेने और साफ करने के लिए हो रहा है। जिस हवा में हम सांस लेते हैं, जो पानी हम पीते हैं, सूर्य की किरणें जो हम तक पहुंचती हैं, और जो भोजन हम प्रतिदिन ग्रहण करते हैं, वे सभी पर्यावरण से उपहार हैं व इस तरह, यह महत्वपूर्ण है कि उनका सम्मान किया जाए, उनके मूल्यों को समझा जाए।
उन्होंने कहा, विश्व पर्यावरण दिवस हर साल 5 जून को मनाया जाता है, ताकि लोगों को प्रकृति को याद न करने के लिए याद दिलाया जा सके, और संकेतों को पढ़ने, उन्हें समझने और तदनुसार कार्य करने के लिये बताया जा सके। यह लोगों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र की ओर से चलाए जा रहे दुनिया के सबसे बड़े वार्षिक कार्यक्रमों में से एक है।
प्रो.अग्रवाल ने कहा, विश्व पर्यावरण दिवस 2020 की थीम सेलिब्रेट बायोडायवर्सिटी है, और इसे जर्मनी के साथ साझेदारी में कोलंबिया में आयोजित किया जाना था। विषय अत्यंत प्रासंगिक है क्योंकि मानव पारिस्थितिकी तंत्र का हिस्सा है और अलगाव में जीवित नहीं रह सकता है। सभी जीवित चीजों को बड़े और छोटे, भूमि पर, या पानी में जीवित रहने के लिए जैव विविधता महत्वपूर्ण है।
कहा, हमें यह समझने की आवश्यकता है, जहां एक खाद्य श्रृंखला और प्रजातियों की रैंकिंग हो सकती है, प्रत्येक जीवित वस्तु किसी अन्य जीवित वस्तु से जुड़ी होती है, और साथ में यह ग्रह पर विविध जीवन रूपों का एक नेटवर्क बनाती है। पिछले वर्ष का विषय था ‘ वायु प्रदूषण ‘। आप 5 जून को अपना काम दूसरे लोगों को शिक्षित करके और कुछ जीवनशैली में बदलाव लाकर भी कर सकते हैं, ताकि पर्यावरण पर कम बोझ डाला जा सके।
एक पेड़ लगाने के साथ उसको बचाने का संकल्प लें :कर्नल निशीथ कुमार राय
विश्वविद्यालय के कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने कहा, प्रत्येक व्यक्ति केवल एक पेड़ लगाने के साथ उसको बचाने का संकल्प लें तो ये अभियान सही मायनों में उपयोगी होगा। सभी छात्रों से एक पेड़ लगाकर उसका देखभाल करने की बात कही।
प्रकृति का निरंतर दोहन, पर्यावरण की अनदेखी का ही नतीजा
यूनेस्को क्लब, दरभंगा के अध्यक्ष विनोद कुमार पंसारी ने कहा, प्रकृति का निरंतर दोहन, पर्यावरण की अनदेखी का ही नतीजा है कि आज प्रकृति अपना रौद्र रूप हमें दिखला रही है, जिन समस्याओं की हमनें कल्पना नही की थी वह सब कुछ प्रकृति हमें दिखला रही है। मौसम भी अपने निश्चित समय से विमुख होते जा रहे हैं। पानी की समस्या से हमें दो चार होना पड़ रहा है।
कहा, निश्चित रूप से सरकारों का ध्यान इस ओर आकृष्ट हुआ है ,काफी कुछ प्रयास भी हो रहे हैं ।जल स्रोतों से लेकर पर्यावरण की रक्षा के लिए पेड़ पौधे लगाए जा रहा है किंतु अभी भी बहुत कुछ करने की आवश्यकता है, आमजन को इस अभियान में जोड़ना नितांत आवश्यक है| गांव देहात से लेकर शहर में अभी भी बहुत से स्थान सूने पड़े हैं चाहे वह बड़े-बड़े सरकारी दफ्तर हो या कॉलेज/ स्कूल के प्रांगण हो, पूर्व में कॉलेजों के अंदर स्विमिंग पुल व पर्यावरण पर विशेष ध्यान दिया जाता था किंतु कालांतर में स्विमिंग पूल की उपयोगिता खत्म हो गई।
कहा, हमें पुनः गुरुजी की पुरानी पाठशालाओं की ओर लौटना पड़ेगा जिसमें पर्यावरण की रक्षा के लिए पौधारोपण की भी एक कक्षा हुआ करती थी, आज पुनः हमें बच्चों को प्रेरित कर पेड़ पौधा लगाने के लिए उन्हें जागरूक करना पड़ेगा तभी हम पर्यावरण की रक्षा कर सकेंगे | महाराजा लक्ष्मेश्वर सिंह संग्रहालय के अध्यक्ष डॉ.शिव कुमार मिश्र ने कहा, पर्यावरण की रक्षा के लिए पेड़ों को लगाना एवं उसे बचाना आवश्यक है ,उसी प्रकार नदियों, पोखरों की रक्षा करना आवश्यक है।
पर्यावरण संरक्षण किया जाना भविष्य के लिए अतिआवश्यक :प्रो. जे एल चौधरी
स्नातकोत्तर गणित विभाग के शिक्षक प्रो. जे एल चौधरी ने कहा, पर्यावरण संरक्षण किया जाना भविष्य के लिए अतिआवश्यक है। उन्होंने कबीर जयंती के अवसर पर कहा कि अशिक्षित होकर भी हिन्दू मुस्लिम एकता की एक मिसाल कायम की। कई भाषा के विद्वान कबीर वाणी सामयिक है।
पेड़ लगाने के साथ, साइकिल का प्रयोग करें
विभाग के शिक्षक डॉ. अभिमन्यु कुमार ने कहा, प्रदूषण को कम कर हमसभी इस दिशा में अच्छा कार्य कर सकते हैं। विभाग के ही शिक्षक विपुल स्नेही ने कहा कि सभी पेड़ लगाने के साथ, साइकिल का प्रयोग करें, जिससे सही मायनों में इसे जीवन मे उतारा जा सके।
विभाग के शोध छात्र सह असिस्टेंट प्रो. अभिषेक कुमार, रजत शुभ्रा दास ने भी कहा, प्रकृति के अत्यधिक दोहन से प्रकृति अपना रौद्र रूप दिखला रही है। अभी भी समय हम सचेत हो जाए।
दीपक ने कहा, हो सालों भर देखभाल
विभाग के छात्र दीपक झा ने कहा, सरकार प्रयेक वर्ष इस अवसर पर पेड़ लगवाती है फिर निगरानी नही करती की पेड़ जिंदा है या नहीं। ये अभियान सालोंभर चलना चाहिए। विभाग के छात्रों में ऋषभ चौहान, रविराज कुमार, गौरीशंकर, गोपाल, निशा भारती, अंजलि ठाकुर ने भाग लिया। धन्यवाद ज्ञापन विपुल स्नेही ने किया।