दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। दरभंगा नगर निगम में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। मेयर बैजंती खेड़िया की मनमानी के खिलाफ पार्षदों ने महाभियोग अभियान सोमवार को चलाया। 11 बजे दिन में नगर निगम कार्यालय में जुटे पार्षदों ने मेयर के नाम संबोधित एक ज्ञापन सौंपते हुए उन्हें तानाशाह बताया। इसके साथ ही निगम की राजनीति अचानक से बेहद गरम हो गया है।
जानकारी के अनुसार, पार्षदों ने हस्ताक्षर युक्त एक ज्ञापन सौंपते कहा है, मेयर बैजंती देवी खेड़िया एक तानाशाह राजनीतिज्ञ हैं, जो अपने धनतंत्र व धमकी तंत्र के सहारे लोकतंत्र की धज्जियां उड़ा रही हैं। लोकतांत्रिक पद्धति के तहत अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले पार्षदों को कहीं धमकाकर, कहीं उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर अपने विरुद्ध 24 पार्षदों को गोलबंद नहीं होने देना चाहती हैं।
मेयर ने इसी दौरान अविश्वास प्रस्ताव पर हस्ताक्षर करने वाले एक पार्षद को धमकाकर उनसे सादे कागज पर दस्तखत ले लिया। धमकी दिया कि अगर अविश्वास प्रस्ताव के दौरान सदन में गए तो उन्हें विभिन्न तरह से बदनाम कर देंगे।
दरभंगा नगर निगम में पार्षदगण अपने कार्य, सेवा के बल पर चुनकर आते हैं। इनमें से कई विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से जुड़े होते हैं, लेकिन नगर निगम का चुनाव राजनीतिक दल पर नहीं होता है। लेकिन माननीय महापौर महोदया अपने पति के लिए, जो विधानसभा में एक पार्टी के उम्मीदवार थे और पुनः इस बार बनने के प्रयास में है, के लिए निगम को फुटबॉल के रूप में इस्तेमाल करती आ रही हैं।
हम लोगों का कहना है कि नगर निगम के कार्य में किसी भी राजनीतिक , जाति, धर्म का इस्तेमाल न हो, जबकि माननीय महापौर अपने पति के लिए दरभंगा नगर निगम को फुटबॉल की तरह गोल के लिये इस्तेमाल करती है। उनसे आग्रह है कि इसके लिए खेड़िया हाउस को कार्यालय बनाएं। निगम में सिर्फ विकास और कार्य की राजनीति हो।
किसी भी अन्य जनप्रतिनिधि, चाहे वह माननीय सांसद, विधायक, विधान पार्षद हैं, वे दरभंगा नगर निगम बोर्ड की बैठक में हमारे आदरणीय मेहमान होते हैं। वे अपने क्षेत्र की बात रखें। वे भी माननीय महापौर जी के पति की तरह पार्षदों के अंदरूनी मामले में हस्तक्षेप नहीं करें। पार्षदों को निगम बोर्ड स्वतंत्र रूप से चलाने दें और उस में सहयोग करें, क्योंकि जनता की छोटी-छोटी बातों का जवाब माननीय पार्षदों को ही देना पड़ता है।
बोर्ड के सभी ऐसे पार्षदों से भी आग्रह है कि वह अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में धमकी को दरकिनार कर अवश्य भाग ले, क्योंकि अपने विरुद्ध पार्षदों के आक्रोश को देख माननीय महापौर महोदय और उनके समर्थक अमर्यादित तरीके से इन्हें बैठक में रोकने नहीं जाने की धमकी दे रहे हैं।
अगर माननीय महापौर सच्चे जनप्रतिनिधि हैं तो 8 माह तक बोर्ड बैठक से वंचित रखने के बाद इन्हें बैठक में आने का हक दें। पार्षदों को सदन में आने दें और वहां वोटिंग में भाग लेने दें। लेकिन बैठक में कई माननीय पार्षदों को धमकी, भय दिखाकर अभी से नहीं आने देने के अनैतिक कार्य पर मेयर व उनके समर्थकों ने पहल करना शुरू कर दिया है, जिसका एक ऑडियो रिकॉर्डिंग संबंधित प्रशासन को सबूत की बानगी के तौर पर उपलब्ध करा दिया गया है।
8 माह बाद पार्षदों के लिए एक मौका है कि वे स्वतंत्र रूप में सदन में आकर अविश्वास प्रस्ताव में भाग लेंऔर गोपनीय तरीके से मतदान करें। अगर इस बैठक में वे नहीं भाग लेते हैं तो जनता तो इतना जरूर समझ जाएगी कि जनतंत्र और धमकी तंत्र के तहत उनके पार्षद ने अपने अधिकार का हनन किया और घुटना टेक दिया! इसका जवाब जनता उन्हें अगले चुनाव में दे सकती है।हम उन सभी साथी माननीय पार्षदों से अपील करते हैं जो किसी न किसी कारण, चाहे वो धमकी, मजबूरी, ब्लैकमेल के कारण भयभीत हैं और उन्हें अविश्वास प्रस्ताव में जाने से मना किया जा रहा है, वे खुले या गोपनीय रूप से इस धमकी की सूचना संबंधित प्रशासन को दें। अविश्वास प्रस्ताव की बैठक में आकर स्वतंत्र रूप से मतदान करें।
मेयर को अविश्वास प्रस्ताव की भनक लगते ही अपनी कुर्सी की चिंता सताने लगी। अगर अपनी लोकप्रियता, काम पर विश्वास है तो लोकतांत्रिक तरीके से सभी माननीय पार्षदों को आने दें और अगर उन्हें बहुमत हासिल होता तो वे निर्विवाद रूप से आगे निगम चलाएं, जिसपर हम सभी पार्षदों के भी सहयोग रहेगा।
लेकिन पार्षदों को विभिन्न तरीके से धमका कर उन्हें बैठक में आने से रोकने की घृणित कार्रवाई कर उक्त पार्षद की मर्यादा उसकी जनता के सामने न लें।ये है महाभियोग अभियान का आज का सबसे बड़ा सबूत