दरभंगा पब्लिक स्कूल में परिवार में कोरोना संकट,कैसे करें मुकाबला (ऑनलाइन सत्र) को डॉ.एसएन सर्राफ, डॉ. प्रियंका सर्राफ, डॉ. अभिषेक सर्राफ, स्कूल (दिल्ली मोड़ व रामबाग) के प्रबंधन से विशाल गौरव ने साझा किए अनुभव, बताए बचाव के गुर
दरभंगा, देशज टाइम्स ब्यूरो। हड्डी व जोड़ सप्ताह के अवसर पर बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के प्रेसिडेंट इलेक्ट डॉ. एसएन सर्राफ, डॉ. प्रियंका सर्राफ व डॉ. अभिषेक सर्राफ ने दरभंगा पब्लिक स्कूल (दिल्ली मोड़ व रामबाग) के शिक्षकों व उनके परिवार के सदस्यों को संबोधित किया।
लगभग दो घंटे तक चले इस ऑनलाइन सत्र का विषय परिवार में कोरोना संकट, कैसे करें मुकाबलारखा गया था। लगभग 125 शिक्षकों के परिवारों को संबोधित करते डॉ. एस एन सर्राफ ने जोर देते कहा, मेडिकल विज्ञान अपनी जगह है पर मरीज की इच्छाशक्ति, सही निर्णय व परिवार के सदस्यों के सहयोग की इस जंग में बहुत बड़ी भूमिका है।
उन्होंने संक्रमण से बचाव को महत्व देते कहा,यह बीमारी शख्सियत नहीं गलतियां देखती हैं। अपने निजी अनुभव को साझा करते हुए डॉ. सर्राफ ने बताया, इस बीमारी से जंग शारीरिक, मानसिक, आर्थिक व सामाजिक; चारों स्तर पर लड़ी जानी है. विदित हो, डॉ. एस एन सर्राफ जुलाई में कोरोना से संक्रमित हो गए थे। अब वह स्वस्थ हैं।
इस संवादात्मक सत्र में जानी-मानी चिकित्सका डॉ. प्रियंका सर्राफ ने तीन बिंदुओं पर ध्यान आकर्षित किया। सबसे पहले बिंदु में उन्होंने “फार्मूला ऑफ सिक्स” की बात की; जहां उन्होंने लक्षण के रूप में छह चीजों पर गौर करने को कहा। यह छह चीजें हैं, शरीर का तापमान, पल्स, ऑक्सीजन, खांसी, सांस फूलना व छह मिनट तक चलने का हमारे शरीर पर कोई असामान्य असर।
दूसरे बिंदु में उन्होंने कुछ सामान्य मेडिकल उपकरण को यथासंभव घर पर रखने का सुझाव दिया। इनमें थर्मामीटर, पल्स ऑक्सीमीटर (ऑक्सीजन स्तर जांच के लिए) व ब्लड प्रेशर मशीन मुख्य हैं, जहां तक हो सके, ऑक्सीजन का सिलेंडर घर पर आपातकालीन स्थिति के लिए रख सकते हैं।
तीसरे बिंदु में डॉ. प्रियंका सर्राफ ने पांच दवाइयों का उल्लेख किया, जिन्हें घर पर रखा जाना चाहिए. इसमें विटामिन सी, पैरासिटामोल, जिंक टैबलेट, अजीट्रॉल (एंटीबायोटिक) व कफ सिरप शामिल हैं।
डॉ. अभिषेक सर्राफ ने अपने परिवार के सदस्यों को कोरोना से जूझते देखने का निजी अनुभव साझा करते बताया, इसमें अवसाद व घबराहट आम है. इसीलिए एक परिवार के रूप में शारीरिक दूरी बनाए रखते हुए भी हमें भावनात्मक रूप से एक-दूसरे के साथ खड़ा होना पड़ेगा। धैर्य व मनोबल की महत्ता को किसी हाल में भी नकारा नहीं जा सकता है।
दरभंगा पब्लिक स्कूल (दिल्ली मोड़ व रामबाग) के प्रबंधन से विशाल गौरव ने बिहार ऑर्थोपेडिक एसोसिएशन के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते कहा, इस सत्र में जिस व्यावहारिक अनुभव को साझा किया गया है। वह किसी भी किताबी ज्ञान से अधिक मूल्यवान है। साथ ही, उन्होंने बताया दरभंगा पब्लिक स्कूल के शिक्षकों को आज जो भी जानकारी प्राप्त हुई है, वह समाज में आगे उन सभी संदेशों के संवाहक के रूप में जिम्मेदारी लेंगे।