बेगूसराय, देशज न्यूज। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ना केवल देशभर में आधारभूत संरचना मजबूत कर रही है ,बल्कि पूर्व की सरकारों में प्रमुख नेताओं द्वारा देखे गए जनकल्याणकारी सपनों को भी पूरा करने की प्रक्रिया को अमलीजामा पहना रही है।
1970 के दशक में तत्कालीन रेल मंत्री ललित नारायण मिश्र ने सपना देखा था कि बरौनी से जयमंगलागढ़ होते हुए हसनपुर तक रेल लाइन बने। इससे ना केवल उत्तरी बिहार के लोगों को आवागमन में (survey of barauni-hasanpur railway line completed) सहूलियत होगी। बल्कि बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों का पड़ोसी देश नेपाल से रेल संपर्क आसानी से मिल जाएगा। इसके बाद बरौनी से हसनपुर तक रेल लाइन के लिए सर्वेक्षण की प्रक्रिया कई बार शुरू और बंद की गई।
नरेन्द्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने बाद सर्वेक्षण की प्रक्रिया ना केवल शुरू की गई, बल्कि उसे पूरा भी कर लिया गया है। सर्वेक्षण रिपोर्ट आगे की कार्रवाई के लिए रेल मंत्रालय को भेज दी गयी है। उम्मीद जताई जा रही है कि इस रेल बजट में आवंटन मिल जाएगा और शीघ्र ही काम भी शुरू हो जाएंगे। 45.38 किलोमीटर की इस रेल परियोजना पर करीब 1470 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है।
बरौनी जंक्शन से हसनपुर जंक्शन के बीच गौड़ा तेयाय, भगवानपुर दहिया, चेरिया बरियारपुर, जयमंगला गढ़ एवं गढ़पुरा में रेलवे स्टेशन तथा मंझौल में हॉल्ट बनाने की योजना है। प्रस्तावित रेलखंड पर एक भी गुमटी नहीं होगा और पांच बड़े पुल, 38 छोटे पुल रेलवे गुमटी के बदले 20 सबवे एवं दो रोड ओवर ब्रिज का निर्माण होगा। सबवे की ऊंचाई सात (survey of barauni-hasanpur railway line completed) मीटर रहेगी, ताकि वाहन आसानी से आ-जा सके। जबकि दो रेल ओवर ब्रिज राष्ट्रीय उच्च पथ-28 पर स्टेट हाईवे-55 पर बनाने का प्रस्ताव है।
प्रस्तावित रेलवे लाइन पहले काबर झील से गुजरने वाली था। लेकिन काबर झील में आने वाले देसी-विदेशी पक्षियों के कलरव में रेल परिचालन के कारण उत्पन्न होने वाली बाधा तथा रामसर साइट के अंतरराष्ट्रीय पहचान के मद्देनजर अब रेलवे लाइन को झील से करीब तीन किलोमीटर दूर बेगूसराय-मंझौल-हसनपुर सड़क के पूर्वी ओर से ले जाया जाएगा।
वर्ष 1973 में ललित नारायण मिश्र जब रेलमंत्री बने थे तो उन्होंने बरौनी से हसनपुर और हसनपुर से सकरी तक रेल लाईन बिछाने का प्रस्ताव रेल मंत्रालय और केन्द्र सरकार को भेजा था। लेकिन जनवरी 1975 में उनकी हत्या के बाद यह परियोजना ठंडे बस्ते में चल गया। इसके बाद रामविलास पासवान जब केंद्रीय मंत्री बने तो उन्होंने हसनपुर से सकरी तक रेलवे लाइन बनवाने का काम शुरू किया जो आधा बन चुका है तथा आगे की प्रक्रिया जारी है।
इसके बाद बरौनी-हसनपुर परियोजना में सुगबुगाहट शुरू हुई और 2012-13 के रेल बजट में इस रेलखंड के सर्वे का टेंडर पास हुआ तथा बीच में कई झंझबातों सेे गुजरते हुए अब सर्वे का काम पूरा हुआ है। इसके लिए डॉ. भोला सिंह और रामजीवन सिंह ने संसद मेंं कई बार सवाल उठाए थे।
पिछले साल राज्यसभा सदस्य प्रो. राकेश सिन्हा ने भी सदन में सवाल कर सर्वेक्षण कार्य को जल्द पूरा करने की मांग की थी, जिसके बाद सर्वेक्षण कार्य में तेजी आई और पूरा कर रिपोर्ट भेजा गया।