अप्रैल,19,2024
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राजस्थान से आकर कलाकार बेगूसराय में बना रहे हैं मां सरस्वती की प्रतिमा

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बेगूसराय। बसंत पंचमी नजदीक आते ही विद्या की देवी मां सरस्वती को पूजने की तैयारी तेज हो गई है। आगामी 16 फरवरी को बसंत पंचमी है, इसको लेकर बाजार जहां सजावटी सामग्री से सज गया है। वहीं, मां सरस्वती की प्रतिमा तैयार करने का काम तेज हो चुका है। जिला भर में एक सौ से अधिक जगहों पर मूर्ति निर्माण का दौर अंतिम चरण में हैं।
यहां मूर्तिकला के लिए कई राज्यों में चर्चित मंसूरचक में बड़ी संख्या में छोटी-छोटी प्रतिमाओं का निर्माण कर बाहर भेजा जा रहा है। तमाम जगहों पर मूर्तिकार प्रतिमा का निर्माण कर चुके हैं, अब उसे अंतिम टच दिया जा रहा है। यहां स्थानीय कलाकार जहां मिट्टी की प्रतिमा निर्माण में जुटे हुए हैं।
प्रतिमा बनाने के लिए राजस्थान से आते हैं बेगूसराय-
स्थानीय मूर्तिकार के अलावे बेगूसराय में राजस्थान से आए मूर्तिकार नारायण का परिवार प्लास्टर ऑफ पेरिस की प्रतिमा निर्माण कर रहा है। जिला मुख्यालय मुख्यालय में एनएच-31 के किनारे नारायण एवं पत्नी समेत उसके परिवार ने मिलकर 150 से अधिक मूर्तियां बनाई है और रोज विभिन्न साइज की प्रतिमा का निर्माण कर रहा है। जिसमें से अधिकतर प्रतिमा की एडवांस बुकिंग हो चुकी है। नारायण ने बताया कि राजस्थान में बड़ी संख्या में निर्माण होने के कारण वहां बाजार नहीं मिल पाता है। जिसके कारण सालों भर देशभर में घूम-घूमकर विभिन्न प्रतिमाओं का निर्माण कर जीवन यापन करते हैं। यहां चार साल पहले आए थे तो प्रतिमा की काफी डिमांड हुई। जिसके कारण पिछले तीन साल से लगातार सरस्वती प्रतिमा निर्माण में जुटे हुए हैं, हमारे बनाए गए फैशनेबल प्रतिमा की काफी डिमांड यहां लोग करते हैं।
छोटी प्रतिमा की है अधिक डिमांड-
स्थानीय मूर्तिकार अनिल पंडित, विनय, राधेश्याम आदि ने बताया कि दुर्गा या काली पूजा की तरह भले ही बड़ी मूर्तियों का निर्माण नहीं होता है, लेकिन छोटी-छोटी मूर्तियों का निर्माण काफी होता है। लगभग हर घर, स्कूल, कार्यालय या संस्थान में मूर्तियों की जरूरत पड़ती है। इस बार भी कमल, शंख, वृक्ष, बतख, नाव आदि पर बैठी सरस्वती की प्रतिमा का निर्माण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि बीते वर्ष की तुलना में इस बार कीमत में बढ़ोत्तरी हुई है। कोरोना के कारण बड़ी प्रतिमा की कम डिमांड है, जिसके कारण छोटी प्रतिमा अधिक बनाया जा रहा है। दूसरी ओर कोरोना के कारण सरस्वती मेला के आयोजन पर संशय के बादल छाए हैं। लेकिन, सैकड़ों जगहों पर नाटक, जागरण समेत अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन की भी तैयारी है।
जलवायु परिवर्तन विभाग ने जारी की एडवाइजरी-
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के जारी दिशा-निर्देश के आलोक में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग बिहार द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। जिसमें कहा गया है कि प्रतिमा बनाने में पकाए गए मिट्टी एवं प्लास्टर ऑफ पेरिस इत्यादि का उपयोग नहीं कर पारंपरिक मिट्टी का उपयोग करें। प्रतिमा रंगने के लिए पानी में पानी मेंं घुलनशील विष रहित प्राकृतिक रंजको का ही उपयोग करें। विषैले रसायन वाले रंग जैविक विविधता के लिए खतरा है। मूर्ति विसर्जन से पूर्व प्लास्टिक से बने सजावटी सामग्री एवं पूजन सामग्री हटा लें। किसी भी नदी में प्रतिमा विसर्जित नहीं किया जा सकता है। विसर्जन के बाद 48 घंटे के भीतर सिंथेटिक लाइनर समेत प्रतिमा के अवशेष आदि को हटाकर मिट्टी भराई कर दें। मूर्ति विसर्जन क्षेत्र में पूजन सामग्रियों तथा ठोस कचरा को जलाने पर भी रोक लगाई गई है।राजस्थान से आकर कलाकार बेगूसराय में बना रहे हैं मां सरस्वती की प्रतिमा
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