दरभंगा, देशज न्यूज। मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्रीराम की जितनी श्रद्धा से पूजा मिथिलांचल में होती है, उतनी पूजा शायद ही कहीं होती हो। लोक उत्सव और लोक पर्व की जागृत परंपरा के वाहक मिथिला में हर घर में श्रीराम संग जानकी की पूजा होती है और वर्ष में एक दिन विवाह महोत्सव मनाया जाता है। preparations for marriage panchmi intensified in mithila।
मिथिला के हर इलाके में अगहन शुक्ल पक्ष पंचमी के दिन जानकी विवाह महोत्सव का आयोजन होता है। जैसे लोग अपने बेटी की शादी में तमाम रस्मो रिवाज करते हैं, ठीक उसी तरह यहां चार दिवसीय विवाह महोत्सव के तहत सभी रस्मो रिवाज निभाए जाते हैं।
चौठा चौठारी के साथ संपन्न होगा चार दिवसीय महोत्सव-
इस वर्ष 17 दिसम्बर को देव निमंत्रण एवं मंडपाच्छादन होना है। 18 दिसम्बर को मटकोर, चुमावन एवं जागरण, 19 दिसम्बर को रामकलेवा तथा 20 दिसम्बर को चौठा- चौठारी के विधान के साथ चार दिवसीय श्रीराम जानकी विवाह महोत्सव संपन्न होगा। इसको लेकर वैष्णव मार्धुय भक्ति की पराकाष्ठा का परिचायक मिथिलाचंल के प्रवेश द्वार पर बेगूसराय के बीहट में स्थित विश्वनाथ मंदिर में चार दिवसीय श्रीजानकी विवाह महोत्सव की तैयारी शुरू हो गयी है। हालांकि, अन्य वर्षोंं की तरह अधिक भीड़भाड़ नहीं होगी और कोरोना को लेकर सभी कार्यक्रम मंदिर परिसर में ही करने की बात कही जा रही है।preparations for marriage panchmi intensified in mithila।
शक्ति के हाथों का खिलौना बनना है वैष्णव मार्धुय भक्ति का मर्म-
विवाह महोत्सव के दौरान जनक की भूमिका निभाने वाले बेगूसराय के पीठासीन आचार्य राजकिशोर शरण ने बताया कि यूं तो विश्वनाथ मंदिर में प्रत्येक माह के शुक्ल तथा कृष्ण पक्ष की पंचमी को भगवान श्रीराम का विवाहोत्सव होता है। प्रत्येक दिन रामार्चन के जरिये विवाहोत्सव की भी रस्में निभायी जाती हैंं लेकिन प्रत्येक वर्ष अगहन शुक्ल पक्ष की पंचमी को श्रीजानकी विवाह महोत्सव का आयोजन होता है। विश्वनाथ मंदिर का श्रीजानकी विवाह महोत्सव सांस्कृतिक तथा धार्मिक महत्ता को बढ़ाने के साथ ही वैष्णव माधुर्य भक्ति का परिचायक भी है। लोग यहां परब्रह्म की आराधना दासभक्ति से करते हैं। preparations for marriage panchmi intensified in mithila।
उन्होंने बताया कि ब्रह्म का ब्रह्मत्व खोकर शक्ति के चरणों में समर्पित हो जाना और शक्ति के हाथों का खिलौना बने रहना ही मिथिला की वैष्णव मार्धुय भक्ति का मर्म है तथा विवाह महोत्सव के दौरान यह भावना साकार होती दीखती है। परब्रह्म श्रीराम ने मिथिला के कोहवर में आकर अपना ब्रह्मत्व खोया तथा जानकी ने अपना शक्तित्व। वर्षोंं से विधकरणी की रस्म अदा कर रही गंगा दीदी ने बताया कि आध्यात्मिक गुरु ने परब्रह्म को पाहुन के रूप आराधना करने का अधिकार दिया और इस वजह से बीहट के लोगों का शाश्वत संबंध परमब्रह्म से जुड़ता है।
1931 में हुई शुरुआत, आ चुके हैं बिस्मिल्लाह खां-
बेगूसराय से मिली जानकारी के अनुसार, बीहट और आसपास के क्षेत्रों में आध्यात्मिक गुरू घराना के रूप में विख्यात विश्वनाथ मंदिर के तात्कालीन पीठासीन आचार्य पंडित वासुकीशरण उपाध्याय उर्फ नुनू सरकार ने 1931 में यहां श्रीजानकी विवाह महोत्सव की शुरूआत की थी और तब से यह अनवरत जारी है।preparations for marriage panchmi intensified in mithila।
विवाह महोत्सव के अवसर पर जहांं दूरदराज के लोगों की भीड़ उमड़ती है वहीं, सांस्कृतिक कार्यक्रमों में राज्य ही नहीं, राष्ट्रीय स्तर के कलाकारों की उपस्थिति होती रही है। विश्व प्रसिद्ध शहनाई वादक स्व. बिस्मिल्लाह खां, इइल्ला खान, दरभंगा घराना के सुप्रसिद्ध सुगम संगीत गायक बिदुर मल्लिक, रमेश मल्लिक, साहित्य मल्लिक, संगीत मल्लिक समेत देश के कई ख्यातिप्राप्त शास्त्रीय संगीत गायक तथा तबला, हारमोनियम, बांसुरी और गिटार वादक समेत अन्य विधा के कलाकार इसमें शिरकत कर चुके हैं।preparations for marriage panchmi intensified in mithila।