अप्रैल,27,2024
spot_img

पैदल लौटने से बढ़िया है चलो भाग चलें ट्रेन से घर, जय हो वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस की…आशंका, भय, दहशत से लौट रहे प्रवासियों का छलकर रहा फिर वही पुराना दर्द…नमक रोटी खाएंगे अब परदेस नहीं जाएंगे

spot_img
spot_img
spot_img
बेगूसराय। देश के तमाम हिस्सों में कोरोना के दूसरे अटैक से दहशत का माहौल बन गया है। कई राज्यों में संक्रमण को रोकने के लिए नए गाइडलाइन तय किए गए हैं, नाइट कर्फ्यू लगाए जा रहे हैं। बाजार बंद कराए जा रहे हैं, स्कूल-कॉलेज बंद हो चुके हैं, तो ऐसे में एक बार फिर प्रवासी श्रमिकों के बीच दहशत का माहौल बन गया है और वह अपने गांव की ओर भाग रहे हैं।
कोरोना के बढ़ते मामले और लगातार जारी किए जा रहे गाइडलाइन के कारण दिल्ली, मुम्बई आदि शहरों में रह रहे प्रवासी लॉकडाउन की आशंका से भयभीत हैं। उन्हें लग रहा है कि लॉकडाउन हो गया तो दिल्ली और मुम्बई जैसे राज्य की सरकार बाहरी मजदूरों के लिए कोई व्यवस्था नहीं कर पाती है और उन्हें फिर पैदल गांव जाना पड़ेगा। इससे बेहतर है कि अभी ट्रेन चल रही है और गांव की ओर रुख किया जाए। इसी को लेकर प्रवासी मजदूरों के घर वापसी का सिलसिला काफी तेज हो गया है और सिर्फ बेगूसराय जिला में प्रत्येक दिन पांच सौ से अधिक प्रवासी घर आ रहे हैं।
दिल्ली से आने वाले प्रवासियों के लिए वैशाली सुपरफास्ट एक्सप्रेस वरदान बन रही है। रोज बरौनी और बेगूसराय स्टेशन पर प्रवासी श्रमिक की भीड़ उतरती है। लेकिन इसमें दुखद पहलू यह भी है कि स्टेशन पर बाहर से आने वालों के लिए ना जांच की कोई व्यवस्था है और ना उन्हें जांच के बाद ही घर जाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। बेगूसराय में पिछले सप्ताह से संक्रमितों की संख्या काफी तेजी से बढ़ रही है और करीब-करीब सभी संक्रमित बाहर से ही आने वाले हैं। लेकिन स्टेशन पर कोई व्यवस्था नहीं रहने से गांव में संक्रमितों की संख्या बढ़ने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
वैशाली एक्सप्रेस के माध्यम से दिल्ली से लौटे संतोष राम, राधे राम, विपिन राम, सुमन चौधरी एवं भोला महतों आदि ने बेगूसराय स्टेशन पर बताया कि हम लोग कई साल से दिल्ली में रहकर मजदूरी करते पिछले साल जब लॉकडाउन हो गया तो वहां कोई व्यवस्था नहीं रहने के कारण किसी तरह कहीं पैदल कहीं किसी वाहन के सहारे जलालत झेलकर गांव पहुंचे थे। गांव में सरकारी स्तर पर कोई काम नहीं मिला, काफी प्रयास से खोज-खोजकर मजदूरी कर अपने परिवार का भरण पोषण करते रहेे, लेकिन ऐसा कब तक चलता।
सरकार ने जब स्पेशल ट्रेन चलाई तो हम लोग अक्टूबर में फिर से दिल्ली चले गए। वहां मालिक ने बुलाया था, काम भी अच्छी तरह से मिलाा। लेकिन अब जब एक बार फिर कोरोना ने अटैक कर दिया है तो दिल्ली डरने लगाा। वहां 24 घंटा मन में भय बना रहता था कि अगर लॉकडाउन लग गया तो फिर हम क्या खाएंगे, कहां रहेंगेे, गांव कैसे जाएंगे। इधर गांव से भी बार-बार फोन आ रहा था कि कोरोना फैल रहा है घर लौट जाओ। लॉकडाउन के डर से हम लोग गांव आ गए हैं। अब किसी भी हालत में परदेस नहीं जाएंगे, नमक रोटी खाकर भी गांव में ही रहेंगे।
इन श्रमिकों ने बताया कि दिल्ली में रहने वाले हजारों-लाखों लोग लॉकडाउन के डर से गांव आने के लिए परेशान हैंं, ट्रेन चल रही है, लेकिन टिकट नहीं मिल पाता है। रिजर्वेशन कराने के लिए चार-पांच दिन स्टेशन पर जाकर लाइन में खड़ा रहना पड़ता है, उसके बाद भी टिकट की व्यवस्था नहीं हो पा रही हैै। थक हारकर लोग दलालों के शरण में जा रहे हैं, हम लोग लोगों ने भी दो-दो हजार में दलाल के माध्यम से टिकट खरीदा है। सरकार हम प्रवासी मजदूरों के लिए पिछले साल की तरह है श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाए, अन्यथा दिल्ली में रह रहे श्रमिक मानसिक रूप से काफी परेशान हो जाएंगे।
यह भी पढ़ें:  Bihar Crime News| Araria News| Woman Gang Raped | मायके में महिला से चाकू के बल पर सामूहिक दुष्कर्म, मकई की खेत में 3 दरिंदे, उसी की साड़ी में हाथ-पैर बांधकर छोड़ा

ताज़ा खबरें

Editors Note

लेखक या संपादक की लिखित अनुमति के बिना पूर्ण या आंशिक रचनाओं का पुर्नप्रकाशन वर्जित है। लेखक के विचारों के साथ संपादक का सहमत या असहमत होना आवश्यक नहीं। सर्वाधिकार सुरक्षित। देशज टाइम्स में प्रकाशित रचनाओं में विचार लेखक के अपने हैं। देशज टाइम्स टीम का उनसे सहमत होना अनिवार्य नहीं है। कोई शिकायत, सुझाव या प्रतिक्रिया हो तो कृपया deshajtech2020@gmail.com पर लिखें।

- Advertisement -
- Advertisement -
error: कॉपी नहीं, शेयर करें