सुपौल,देशज न्यूज। दवाई के लिए लोग अपनी जमा पूंजी तक खर्च कर देते हैं। वहीं अस्पताल में गरीबों को मुफ्त में वितरण के लिए आने वाले सरकारी दवाओं को अस्पताल प्रशासन की ओर से फेंक दिए जाने का मामला सामने आया है।
अस्पताल प्रशासन की ओर से दवाई एक्सपायर होने से पहले ही दवाई फेंका जाना विभागीय अनियमितता की पोल खोल रही है। मामला त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल का है जहां अस्पताल प्रशासन की ओर से अस्पताल के परिसर में फेंकी जा रही जीवन रक्षक दवाओं में अधिकांश दवा अभी एक्सपायर भी नहीं हुए है, लेकिन अस्पताल प्रशासन को इसकी चिंता नहीं है। Aspatal prashasan ki
स्थानीय लोगों के अनुसार करीब दो तीन लाख रुपए की जीवन रक्षक दवाइयों को अनुमंडलीय अस्पताल प्रशासन कचड़े में फेंक रहा है। दरअसल त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल को अपना भवन नहीं है लिहाज़ा अस्पताल के भवन निर्माण के लिए टेंडर होने के बाद अस्पताल के नए भवन का निर्माण शुरू हुआ है।
इसको लेकर अस्पताल के पुराने जर्जर भवन को तोड़ने का कार्य चल रहा है पुराने जर्जर अस्पताल के भवन में जो दवाइयां रखी गई थी। उसे कचड़ा समझ ट्रैक्टर पर लोड करके अस्पताल प्रशासन की ओर से फेंकवाया जा रहा है। फेंके जा रहे दवाइयों में जीवन रक्षक दवाइयां आयरन विथ फोलिक एसिड सीरप जो वर्ष 2021 के फरवरी में एक्सपायर होने वाला था उसे भी फेंका जा रहा है।
इसके साथ ही वर्ष 2019 में किया हुआ एक्सपायर दवाई 500 एमएल का डेक्सटोज 5 परसेन्ट, भाड़ी मात्रा में एक्सपायरी डीडीटी पाउडर व अन्य दवाइयों को भी फेंका गया है। Aspatal prashasan ki
अस्पताल प्रभारी भी अब इस मामले पर बोलने से परहेज कर रहे हैं। पूछे जाने पर सिविल सर्जन डॉ. कृष्ण मोहन प्रसाद ने बताया कि उनके संज्ञान में मामला आया है, जांच टीम गठित कर मामले की जांच करवाई जा रही है। Aspatal prashasan ki